गुरुत्वाकर्षण शून्य

आदमी की लंबाई आम तौर पर माता-पिता के जीन पर निर्भर करती है। जब कद बढ़ना रुक जाता है, उसके बाद इसे बढ़ाना मुश्किल है। दरअसल, हमारा मेरुदंड गुरुत्वाकर्षण की वजह से खिंचा रहता है और इसलिए इसमें बढ़ोतरी नहीं होती। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण लगभग शून्य होता है इसलिए वहां रहने पर मेरुदंड पर इस तरह का दबाव नहीं रहता। अंतरिक्ष यात्रियों की लंबाई इस वजह से बढ़ जाती है। वैसे, चिकित्सा विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की बढ़ोतरी तीन प्रतिशत तक हो सकती है। स्कॉट कैली और रूसी अंतरिक्ष यात्री मिखाइल कॉर्निएंको अंतरिक्ष में 340 दिन गुजारकर बुधवार को लौटे हैं।अंतरिक्ष में रहने के दौरान शरीर में क्या-क्या बदलाव होते हैं, इस पर वैज्ञानिक लंबे समय से अध्ययन कर रहे हैं।

जांच छह माह तक

इस बार नासा इस बारे में अधिक जानकारी मिलने की आशा में है। इसकी वजह हैं स्कॉट के जुड़वां भाई मार्क कैली। मार्क धरती पर ही रहे हैं। वैज्ञानिक इस वजह से जीन से जुड़ी बेहतर जानकारी जुटाने की उम्मीद में हैं। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण न होने का असर कई तरह से होता है। धरती पर रहते हुए रक्त का प्रवाह नीचे की तरफ होता है। लेकिन अंतरिक्ष में इस तरह के प्रवाह में बाधा होती है जिससे सिर पर जोर पड़ता है। इससे आंखों की रोशनी पर गहरा प्रभाव पड़ता है। कई बार अंतरिक्ष यात्रियों की देखने की शक्ति पर भी गहरा असर हुआ है। स्कॉट और मिखाइल की आंखों के अध्ययन का काम नासा के जापानी वैज्ञानिक डॉ. चिकाई मुकाई के नेतृत्व वाली टीम कर रही है। यह जांच छह माह तक चलेगी।

याददाश्त पर भी असर

सिर पर ज्यादा दबाव के कारण याददाश्त पर भी असर होता है। इसे जांचने का जिम्मा पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के डॉ. मैथियास बैसनर की टीम कर रही है। स्कॉट और मिखाइल चेहरे, नाक और त्वचा पर कुछ क्रीम पर लगाते रहे हैं। इसके बैक्टीरिया में आए बदलावों की जांच अमेरिका के जे. क्रेग वेंटर इंस्टीटयूट के जीवविज्ञानी हरनन लोरेंजी की टीम कर रही है। दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की धमनियों में रक्त प्रवाह की जांच के लिए 2021 तक समय-समय पर अल्ट्रासाउंड किए जाने का कार्यक्रम है। इसी तरह उनकी हड्डियों आदि की भी लगातार जांच की जाएगी क्योंकि गुरुत्वाकर्षण लगभग नहीं होने की वजह से इन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

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