- 17 साल की सुषमा ने कम उम्र में ही शिक्षा के क्षेत्र में लिखी शानदार इबारत

LUCKNOW: देवी दुर्गा अपने छठवें स्वरूप में मां कात्यायनी के नाम से जानी जाती हैं। देवी कात्यायनी एक ऐसी पुत्री का स्वरूप हैं जो अपनी मेहनत के बल पर सफलता और प्रसिद्धि की नई ऊंचाइयों को हासिल करती हैं। उनका यह रूप ऐसा है जिस पर उनके माता-पिता भी गर्व कर सकें। ऐसी ही कहानी है राजधानी के आशियान क्षेत्र में रहने वाली 17 साल की छात्रा सुषमा वर्मा की। जिसने बहुत ही छोटी उम्र में सफलता का ऐसा परचम लहराया कि गरीबी और अंधकार में जीवन गुजार रहा उसका परिवार अचानक पूरी राजधानी के लिए रोल मॉडल बन गया।

सबसे कम उम्र में कराया पीएचडी में एनरोलमेंट

भारत एक ऐसा देश है जहां लड़कियों को 100 प्रतिशत शिक्षित देखने के लिए सरकार हर मुमकिन कोशिश कर रही है। मगर आज भी देश में करीब 35 फीसदी लड़कियों को पढ़ने की छूट नहीं दी जाती है। मगर यहीं एक 15 वर्ष की बेटी ने कुछ ऐसा कर दिखाया जिसके बारे में जानकर सभी गर्व महसूस कर रहे हैं। सुषमा वर्मा ने केवल 15 साल की उम्र में पीएचडी में दाखिला ले लिया है। सुषमा जब सात साल की थीं तब उन्होंने 10 वीं कक्षा की परीक्षा दे दी थी। जब बच्चे स्कूल में रहते हैं तब 13 साल की उम्र में सुषमा ने कॉलेज में एडमिशन ले लिया था। यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। सुषमा ने अपनी काबिलियत से लखनऊ युनिवर्सिटी से माइक्रोबायोलॉजी में मास्टर डिग्री हासिल की और उसके बाद 15 वर्ष की आयु में पीएचडी की पढ़ाई के लिए एनरोलमेंट करा लिया। ऐसा करने के बाद सुषमा देश की सबसे कम उम्र की पीएचडी की छात्रा बन गई हैं।

बिना स्कूल गए हो गई थी 9वीं पास की नॉलेज

साल 2007 में सुषमा ने सात साल की उम्र में 59.6 प्रतिशत मा‌र्क्स के साथ हाईस्कूल पास किया। 2010 में इंटर 63 प्रतिशत मा‌र्क्स के साथ पास किया। इसके बाद कम्बाइंड प्री मेडिकल टेस्ट (सीपीएमटी) में भी बैठीं। 2013 में एलयू से अनुमति लेकर 10 साल की उम्र में बीएससी में एडमिशन लिया और 66 प्रतिशत अंक के साथ पास हुई। इसकी अनोखी प्रतिभा को देखते हुए प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर ने सुषमा की आर्थिक मदद की। 2007 में लिमका बुक ऑफ रिकॉ‌र्ड्स ने इन्हें 10वीं पास करने वाली सबसे कम उम्र की स्टूडेंट घोषित किया। उस वक्त इनकी उम्र 7 साल, तीन महीने और 28 दिन की थीं।

जमीन बेचकर एमएससी में पापा ने एडमीशन कराया

सुषमा के पिता तेज बहादुर पेश से मजदूर हैं। कभी उनको काम मिलता था तो कभी नहीं। सुषमा का जब एमएससी में एडमीशन होना था, तब फीस के पैसे नहीं थे। उन्होंने जमीन बेचकर सुषमा का एडमीशन कराया।

पीएम ने किया सम्म्मानित, राष्ट्रपति ने की तारीफ

2016 में बीबीएयू के दीक्षांत समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने 3 स्टूडेंट्स को मेडल दिए। इसमें 15 साल की सबसे कम उम्र की एमएससी टॉपर सुषमा भी शामिल थीं। उसे गोल्ड मेडल मिला है, जो लिम्का बुक्स ऑफ रिकॉ‌र्ड्स में भी दर्ज है। 15 दिसंबर 2017 में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने बीबीएयू के सातवें दीक्षांत समारोह में शिरकत करने पहुंचे तो मंच से उन्होंने 17 साल की उम्र में पीएचडी कर रही सुषमा तारीफ की।