ग्वालियर (पीटीआई)। पूर्व प्रधानमंत्री और भारतरत्न से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी ने लोकसभा में दो बार मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया था। पहले उन्होंने 1971 में अपने जन्म स्थान ग्वालियर और फिर 1991 में विदिशा से चुनाव लड़ा था। इन दोनों चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी। हालांकि, 1984 में ग्वालियर लोकसभा सीट पर हार का सामना करने के बाद 1991 में अटल जी ने ग्वालियर की बजाए लखनऊ से चुनाव लड़ने का फैसला किया। इस लोकसभा चुनाव में उन्होंने लखनऊ और विदिशा दोनों ही जगहों पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।

ग्वालियर के स्कूल से पढ़े थे अटल बिहारी वाजपेयी
बता दें कि गुरुवार को करीब शाम पांच बजे दिल्ली के एम्स अस्पताल में बीमारी के कारण भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। अनुभवी पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ केशव पांडे ने बताया कि वाजपेयी के पिता कृष्णा बिहारी वाजपेयी ग्वालियर के गोरखी स्कूल में एक शिक्षक के रूप में काम करते थे। उन्होंने बताया कि वाजपेयी ने भी अपनी शुरुआती पढ़ाई गोरखी स्कूल से ही की थी, इसके बाद ग्रेजुएशन उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज(अब महारानी लक्ष्मी बाई कॉलेज) से किया। बता दें कि वाजपेयी ने जनसंघ उम्मीदवार के रूप में 1971 में ग्वालियर लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। 1984 में कांग्रेस के माधवराव सिंधिया ने अटल जी को ग्वालियर से हराया था।

हारने की भी एक अलग कहानी
बता दें कि ग्वालियर से वाजपेयी के हारने की भी एक अलग कहानी है। कहा जाता है कि वाजपेयी यह जानकर हैरान हो गए थे कि माधवराव सिंधिया ने भी आखिरी दिन उसी सीट पर नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिंधिया ने आखिरी दिन उस सीट से नामांकन पत्र पर दाखिला तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आदेश पर किया था। एक वरिष्ट पत्रकार ने बताया कि सिंधिया के इस कदम के बाद वाजपेयी ने फिर भिंड सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल करने का फैसला किया और इसके लिए वे अपने कार से निकले लेकिन वहां समय पर पहुंच नहीं पाए।

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