- पार्टी के लोगों और शहर वासियों ने अर्पित की श्रद्धांजलि

BAREILLY:

पूर्व प्रधानमंत्री के लंबी आयु की प्रार्थना कर रहे बरेलियंस को जैसे ही उनके निधन की खबर लगी, गांव-शहर चारों ओर शोक की लहर फैल गई। हर किसी की जुबां पर बस एक ही बात थी, तो वह अटल जी की सरलता। इसके बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भाजपा कार्यालय पर उन्हे श्रद्धांजलि दी। पार्टी के जिलाध्यक्ष, पूर्व मेयर सुभाष पटेल, मेयर उमेश गौतम, नगर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव, आंवला के पूर्व सांसद सभी ने उनसे जुड़ी यादें भी शेयर की। इनके अलावा बीजेपी महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ। निवेदिता श्रीवास्तव, सपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष ने भी शोक जताया।

आखिरी बार 1999 में आए थे बरेली

वर्ष 1995 में बने मेयर सुभाष पटेल ने बताया कि वाजपेयी जी का बरेली में आखिरी दौरा 1999 में हुआ था। उन्हे शाहजहांपुर में एक मीटिंग में जाना था। बरेली उनका चेंज ओवर था। वही उनके आखिरी कदम थे बरेली में। उसके बाद से बरेली उनका आना नहीं हुआ।

भावुक हुए नगर आयुक्त

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की तबीयत और ज्यादा बिगड़ने की खबर सुनते ही नगर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव भावुक हो गए। उन्होने कहा कि अटल जी की याद उन्हे हमेशा सताती रहेगी। वह बहुत ही सरल स्वभाव के थे। उन्होंने बताया कि जब वह गाजियाबाद में एसडीएम सदर थे। तब अटल जी से मुलाकात हुई थी। उन्होंने मुझसे पूछा था कि राजेश बताओ कितना काम करते हो एक दिन में परेशानी तो नहीं होती है। बाद में बताया कि उन्होंने कहा कि तुम पर तो कभी कभी पार्टी को भी प्रेशर आ जाता होगा। इतना कहने के बाद नगर आयुक्त भावुक हो गए।

अटल जी से मिली थी हार्टमैन कालेज की छात्रा

कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना की सहायता कि लिए हार्टमैन कालेज के स्टूडेंट्स ने 3 लाख 50 हजार रुपए की धनराशि को इक्कठा किया था और पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के आवास पर जाकर उन्हे चेक से दिया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, गुलशन आनंद, आलोक माथुर आदि लोग उनके साथ में थे।

बरेली जंक्शन पर िकया स्वागत

आंवला से पूर्व सांसद राजवीर सिंह के बेटे धीरेंद्र 'पूर्व युवा जिला अध्यक्ष' ने बताया कि पार्टी के किसी काम से अटल जी बरेली आए थे। उस समय वो किसी हवाई जहाज से नहीं बल्कि ट्रेन से आए थे। तो बरेली जंक्शन पर ही पार्टी के सदस्यों ने उनका स्वागत किया। उन्हे फूलमाला पहनाई और बाद में पार्टी के काम के लिए ले गए।

राज्य स्वास्थ्य मंत्री की डेथ में आए

पार्टी के चुनाव प्रबंधन विभाग के महानगर संयोजक महेश ने बताया कि 27 सितम्बर 1987 को राज्य स्वास्थ्य मंत्री सत्यप्रकाश का निधन हुआ था। उसके दो दिन बाद 29 सितम्बर को अटल जी का आना हुआ था। बरेली में आने के बाद वो हिंद टाकीज के सामने कलिंग होटल में रुके थे। उस टाइम उन्हें डायबिटीज थी, तो मीठे से थोड़ा परहेज था। महेश ने बताया कि अटल जी के आने से तीन दिन पहले ही उनकी इंगेजमेंट हुई थी। जिसकी मिठाई खिलाने के लिए वो पहुंचे तो उनके पीए ने मना कर दिया था, लेकिन पीएम ने खुद बुलाकर मिठाई को खा लिया।

शोक में मार्केट रहेगा बंद

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक में व्यापारियों ने बंद का ऐलान किया है। रूहेलखंड उद्योग व्यापार मंडल सभी सदस्य लोकप्रिय नेता अटल जी के निधन पर शोक व्यक्त किया। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार मेहरोत्रा, महेंद्र अग्रवाल, हरीश वैद, महानगर अध्यक्ष विशाल मेहरोत्रा, गोपेश्वर अग्रवाल, अधीर सक्सेना, तरुण साहनी, अतुल कपूर, संजीव अग्रवाल, सर्वेश सिंह, इंद्रजीत गांधी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

भुज एक्सप्रेस को दिया था आला हजरत नाम

पूर्व प्रधानमंत्री का दरगाह आला हजरत से भी विशेष लगाव था। 1996 में उर्स-ए-रजवी पर अटलजी की ओर से दरगाह के लिए भेजी गई चादर तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री संतोष गंगवार लेकर आए थे। अटलजी ने भुज एक्सप्रेस ट्रेन को आला हजरत का नाम दिया था।