-अप्रैल में हुई यूपी स्टेट एथलीट चैंपियनशिप में जीता ब्रॉन्ज मेडल

-लास्ट ईयर विशाखापट्टनम में हुई नेशनल एथलीट चैंपियनशिप में रही थीं पांचवे नंबर पर

BAREILLY

13 साल की संजना पाल का ख्वाब ओलंपिक में सबसे तेज दौड़कर देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना है। वह अपने इस सपने को पूरा करने में पूरी शिद्दत से जुटी है। कम संसाधनों के बीच गांव के चकरोड पर दौड़कर वह सपनों को साकार करने में जुटी हुई है। हौंसलों की उड़ान की बदौलत उसने लास्ट ईयर विशाखापट्टनम में हुई नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पांचवां स्थान हासिल किया था। इस साल अप्रैल में लखनऊ में हुई स्टेट लेवल चैंपियनशिप में उसने ब्रॉन्ज मेडल झटका था।

पिता बेचते हैं चाय

संजय नगर निवासी संजना पाल के पिता जयदेव पाल श्यामगंज में चाय की दुकान लगाते हैं। इसी से वह परिवार का पालन-पोषण करते हैं। संजना ने बताया कि जब वह पढ़ रही थी, तो उड़न परी पीटी ऊषा के बारे में सुना। इसके बाद उसने देश के लिए दौड़ने का मन बनाया। साथ ही रेस में कॅरियर बनाने के बारे में पैरेंट्स को बताया। उन्होंने तो सपोर्ट किया। लेकिन रिश्तेदारों ने लड़की होने के कारण इसका विरोध किया। पैरेंट्स ने रिश्तेदारों के विरोध को दरकिनार करके बेटी का साथ दिया। पिता की आर्थिक तंगी इसमें बाधा बनी, तो कोच साहिबे आलम आगे आए। उन्होंने बगैर फीस के कोचिंग देना शुरू किया। उनकी मेहनत और संजना का त्याग रंग लाया। 5 से 7 सितम्बर 2015 को विशाखापट्टनम में हुई नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 600 मीटर की दौड़ 2 मिनट चार सेकंड में पूरा करके पांचवें नंबर पर रही। वहीं, इसी साल अप्रैल को लखनऊ में हुई यूपी स्टेट एथलेटिक चैंपियनशिप में तीन किमी की दौड़ 15 मिनट 42 सेकंड में पूरा किया। बदायूं में हुई मंडलीय विद्यालीय एथलीट चैंपियनशिप में 200, 400 और 600 मीटर में उसने गोल्ड मेडल जीता। इसके साथ ही उसे व्यक्गित चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त हुआ।

भाई भी है प्रतिभावान

संजना चार भाई-बहन है। उसका बड़ा भाई आशुतोष पाल स्टेट लेवल हॉकी प्लेयर रहा है। लेकिन परिवार की आर्थिक तंगी के चलते उसे हॉकी को बीच में ही छोड़ना पड़ा।