- विभागीय उपेक्षा के चलते धूमिल हो रहा इंटरनेशनल एथलेटिक्स प्लेयर

- आर्थिक तंगी के चलते स्लॉटर हाउस में काम करने को मजबूर

बरेली :

जिनके हौंसले हैं बुलंद उसके नहीं डिगेंगे कदम यह साबित करके दिखाया है शहर के चक महमूद मोहल्ला निवासी मेहताब ने। मेहताब जन्म से ही दिव्यांग थे। जब यह बात उनके घर वालों को पता चली तो वह निराश हुए, लेकिन मेहताब ने हार नहीं मानी। उनके अंदर देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा बचपन से ही था। बोलने और सुनने में असमर्थ मेहताब ने अपनी इच्छाशक्ति के दम पर एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल जीतकर शहर का नाम रोशन किया, लेकिन महकमे की उपेक्षा और आर्थिक तंगी से हौसले पस्त हो गए। आज वह दो वक्त की रोटी कमाने के दर-दर भटक रहा है।

स्टेट लेबल में जीता पहला गोल्ड

मेहताब ने महज दस साल की उम्र से शहर के स्पोर्ट्स स्टेडियम में ऐथलेटिक्स का अभ्यास प्रारंभ कर दिया था, दो साल बाद ही आगरा में आयोजित हुई स्टेट लेबल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था।

देश का बढ़ाया मानअ

मेहताब ने नेशनल स्तर पर आस्ट्रेलिया, वेनेजुएला, ताईवान, थाईलैंड व अमेरिका में आयोजित इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया है।

यह मेडल जीते

1. नेशनल गेम्स डेक में पश्चिम बंगाल में 5 हजार मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीता।

2. दिल्ली में चौथे नेशनल गेम्स में 5 हजार मीटर रेस में सिल्वर मेडल जीता।

3. महाराष्ट्र में नेशनल गेम्स में 1 हजार मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीता।

4. ताईवान में छठे एशिया पैसिफिक गेम्स में पांचवी रैंक मिली।

विभागीय उपेक्षा से टूटा हौसला

वर्ष 2006 में मेहताब ने स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में कोच चंगेज खान के नेतृत्व में प्रैक्टिस करना शुरु किया था। विभागीय उपेक्षा के चलते उन्हें यूआइडी, यात्रा भत्ता आदि सुविधाएं नहीं मिली। अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन सभी ने अनसुना कर दिया। कोच चंगेज खान ने खेल निदेशालय, खेल मंत्री समेत सभी जगह मदद मांगी। आश्वासन और मदद का भरोसा तो सबने दिया पर किसी ने भी कुछ नहीं किया।

आर्थिक तंगी से धूमिल हो रही प्रतिभा

पैसों की तंगी की वजह से मेहताब ने वर्ष 2017 में स्पोर्ट्स स्टेडियम में प्रैक्टिस करना छोड़ दिया था। मेहताब के अनुसार अगर उसेसुविधाएं मिले तो वह आगे भी मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करना चाहता है। अब वह पेट की आग बुझाने के लिए स्लॉटर हाउस में मजदूरी कर रहा है।

मेहताब को 10 साल कोचिंग दी है। वह बहुत ही प्रतिभावान खिलाड़ी है। उसको किसी भी प्रकार की सरकारी योजनाओं को लाभ नहीं मिला। कई प्रयास किए। आर्थिक कमजोरी की वजह से उसे खेल छोड़ना पड़ा।

चंगेज खान, एथलेटिक्स कोच

वर्जन

मैंने एक वर्ष पहले ही कार्यभार संभाला हैं। इस बीच मेहताब ने मुझसे किसी प्रकार की मदद नहीं मांगी। अगर उन्हें सरकारी सुविधाओं से दूर रखा गया है तो कोई वजह होगी। फिर भी एक बार मेहताब से संपर्क कर सुविधाएं दिलाने में मदद की जाएंगी।

लक्ष्मी शंकर शर्मा, आरएसओ।