छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : झारखंड में मॉनसून दस्तक देने ही वाला है। बरसात से लोगों को राहत तो मिलेगी पर साथ ही साथ एक ऐसी समस्या भी खड़ी होगी, जिसके समाधान के लिए अगर अभी से तैयारी नही की गई तो हॉस्पिटल के चक्कर लग सकते हैं। ये समस्या है मच्छरों की। डिस्ट्रिक्ट में हर साल मलेरिया के हजारों मामले आते हैं पर डिस्ट्रिक्ट मलेरिया डिपार्टमेंट के पास मच्छरों के रोकथाम के लिए ना तो फंड है और ना ही मैनपावर है।

कैसे होगा मलेरिया कंट्रोल

हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा जून को मलेरिया रोधी माह के रुप में मनाया जा रहा है। पर मलेरिया के रोकथाम का यह अभियान महज कागजों पर ही चलता दिखाई दे रहा है। डिस्ट्रिक्ट मलेरिया डिपार्टमेंट के पास ना तो मच्छरों के रोकथाम के लिए फंड है और ना ही मैनपावर। मलेरिया डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने बताया कि पिछले दो महीने में कराए गए छिड़काव के पैसे का भुगतान करने का फंड भी डिपार्टमेंट के पास नही है। डिस्ट्रिक्ट मलेरिया ऑफिसर डॉ बीबी टोपनो ने बताया कि 2015-16 में जिले के लिए अभी फंड सैेक्शन नही हुआ है। उन्होंने कहा कि 2014-15 में भी काफी कम फंड सैंक्शन हुआ था।

कर्मचारियों की भी है कमी

फंड के साथ-साथ डिपार्टमेंट के पास मैनपावर की भी काफी कमी है। सितंबर माह से एमपीडब्लू (मल्टी पर्पस वर्कर्स) कर्मचारियों के हटने के बाद से मलेरिया जोन क्षेत्र में भी अभियान पूरी तरह से ठप पड़ गया है। नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के तहत जिले में कुल 95 एमपीडब्लू बहाल हुए थे। इनका उद्देश्य मलेरिया से निपटने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम संचालित करना और मरीजों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराना था। इसके लिए वह घर-घर जाकर सर्वे के माध्यम से मरीजों की पहचान करते थे। वहीं डिस्ट्रीक्ट में फिलहाल सिर्फ 2 मलेरिया इंस्पेक्टर, 3 मलेरिया ट्रीटमेंट सुपरवाइजर, 4 सर्विलांस इंस्पेक्टर और 3 सर्विलांस वर्कर हैं। कर्मचारियों की कमी की वजह से मलेरिया की रोकथाम के अभियान पर काफी असर पड़ रहा है।

खाली हैं कई पद

पद कार्यरत

मलेरिया इंस्पेक्टर 9 2

मलेरिया ट्रीटमेंट सुपरवाइजर 9 3

सर्विलांस इंस्पेक्टर 9 4

मलेरिया सर्विलांस वर्कर 98 3

डिस्ट्रीक्ट में मलेरिया जोन घोषित क्षेत्र (बॉक्स)

पटमदा, मुसाबनी, डुमरिया, बहरागोड़ा, घाटशिला, जादूगोड़ा सहित अन्य।

क्या कहता है आंकड़ा

वर्ष मलेरिया ब्रेन मलेरिया

2011 4492 3701

2012 5218 3323

2013 3527 2348

2014 3937 3022

क्वोट

फंड और मैनपावर की कमी की वजह से मच्छरों की रोकथाम में काफी परेशानी आ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में मलेरिया के प्रति लोगों मे अवेयरनेस फैलाया जा रहा है।

डॉ बीबी टोपनो

डिस्ट्रीक्ट मलेरिया ऑफिसर, ईस्ट सिंहभूम