घर-घर पैठ बना रहा मौसमी बुखार, लगातार बढ़ रहे मरीज

ठंड ने दी दस्तक, दिन और रात के तापमान में दोगुने का अंतर

ALLAHABAD: मौसम में बदलाव के चलते मौसमी बुखार का कहर लोगों पर टूटने लगा है। लगातार बढ़ रहे मरीजों से हॉस्पिटल्स पट गए हैं। बुखार के साथ बदन दर्द, खांसी और कमजोरी की चपेट में भी मरीज आ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि मौसम में खुद को महफूज रखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों और बुजुर्गो के लिए यह वक्त काफी खतरनाक साबित हो सकता है।

ओपीडी में 40 फीसदी मरीज

हॉस्पिटल्स की ओपीडी में मौसमी बुखार के मरीजों का आना बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में बेली, कॉल्विन और एसआरएन हॉस्पिटल में आने वाले कुल मरीजों में चालीस फीसदी इससे ग्रसित हैं। फिजीशियन डॉ। ओपी त्रिपाठी कहते हैं कि मरीजों की संख्या नवंबर में ऐसे ही बढ़ती रहेगी। एक बार भरपूर ठंड आने के बाद लोगों को मौसमी बुखार से छुटकारा मिल जाएगा। जब मौसम में बदलाव होता है तो बॉडी इम्युनिटी घट जाती है, जिससे वायरस और बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं और बुखार, सर्दी, जुकाम जैसे लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं।

लक्षण

बदन दर्द

गले में खराश

तेज बुखार

मतली या उल्टी

नाक बहना

सिरदर्द

खांसी

आंखों में लालिमा

आंखों में जलन

त्वचा पर धब्बे

जोड़ों में दर्द

कमजोरी

बचाव

खांसते या छींकते समय चेहरे पर रुमाल लगा लें

संक्रमित व्यक्ति को दूसरों के जरूरत के सामान यूज नही करना चाहिए

फ्रिज का ठंडा पानी और कूलर से दूरी बनाकर रखें

बाजार में बिकने वाली खानपान की चीजों का उपयोग न करें

लगातार बुखार बने रहने पर डॉक्टर को दिखाएं

रात में पूरे बदन के कपड़े पहनकर घर से निकलें

तापमान के अंतर से मिल रही मात

मौसम के बदलाव के समय दिन और रात के तापमान में खासा अंतर होता है। मौसमी बीमारियों के फैलाव का यह प्रमुख कारण है। इस समय दिन का तापमान तीस डिग्री और रात का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस के आसपास है। इस दोगुने अंतर के चलते लोग जल्दी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। खासकर बच्चे और बुजुर्ग तापमान के इस उतार चढ़ाव का शिकार होते हैं। इसलिए शाम होते ही इस एजग्रुप के लोगों को पूरे बदन के कपड़े पहनने पर जोर देना चाहिए। देर रात घर से निकलने पर कान को ढंकने वाले कपड़ों का उपयोग जरूरी है।

दवाओं का पूरा सेवन जरूरी

इस मौसम में एक बार बुखार की चपेट में आने के बाद बार-बार बीमार होने अंदेशा बना रहता है। ऐसे में डाक्टरों का कहना है कि हॉस्पिटल से दी जाने वाली दवाओं का पूरा सेवन करना जरूरी होता है। पूरा कोर्स नही करने पर वायरस या बैक्टीरिया दब जाते हैं लेकिन पूरी तरह से समाप्त नहीं होते। इसलिए जब भी बॉडी की इम्युनिटी कम होती है, यह शरीर पर हमला कर देते हैं।