लखनऊ जो मेहमाननवाजी के लिए जाना जाता है एक शक्स की इस गलती से शर्मसार हो गया। आखिर यह शक्स चाहता क्या है, क्यों ऐसा किया यह तो सवाल हैं, लेकिन जो हुआ उससे शहर की साख को जरूर ठेस पहुंची है।

कोई शिकन नहीं थी

मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वास के बाद मंच पर पहुंचे अरविन्द केजरीवाल के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। उन्हें देखकर कोई कह नहीं सकता था कि उनके साथ कुछ ऐसा हुआ है, लेकिन इस हरकत के बारे में लोगों को जैसे ही पता चला उनका गुस्सा फूट पड़ा। भीड़ का गुस्सा देखकर पुलिस ने जितेन्द्र को पार्क ही में बने शिव मंदिर में बैठा दिया। अब तक पार्क में हर किसी को इस बात की खबर लग गई थी। अन्ना के यंग वारियर्स, जो इस मुहिम का हिस्सा रहे हैं, हर किसी से यही अपील कर रहे थे कि अब उसे जाने दे और कार्यक्रम में शामिल हों।

अन्ना के साथी बैण्ड

अन्ना की आवाज से आवाज मिला दो.अन्ना के साथी बैण्ड द्वारा गये गये इस गीत से यहां की उमंग भरी शाम की शुरुआत हुई। इसके बाद शफीक रंगरेज की मिमिक्री, यायावर रंगमण्डल का नुक्कड़ नाटक, अनुराग की आवाज में मां तुझे सलाम गीत ने इस शाम को यादगार बना दिया। वहीं मौके पर मौजूद सैकड़ों अन्ना समर्थक जय हिन्द, जय भारत जैसे देशभक्ति के नारे लगा रहे थे। मंच से कुछ दूर होने वाली इस घटना के बावजूद हर कोई इस कार्यक्रम का हिस्सा बना हुआ था। कई स्पीकर्स के बाद माईक जब कुमार विश्वास के हाथ में आया तो मानों आग में किसी ने घी का काम किया हो। उतर के कसरे आली से, आली से हमारे रूबरू आओ, बुलंदी से हमारे कद का अंदाजा नहीं होगा। कुमार विश्वास ने जब इस शेर के साथ पार्क से दूर खड़े लोगों को आवाज दी तो तालियों का शोर दूर-दूर तक गया और लोग करीब आ गये।

आस्था का अपमान

खुद को जालौन का निवासी बताने वाला जितेन्द्र शहर की साख को शर्मसार करके छुपा हुआ बैठा था। वहीं मंदिर में घुसने वालों ने भी आस्था को रौंद डाला। जूते चप्पलों के साथ न सिर्फ मंदिर में घुसे बल्कि उन्हें यह भी नहीं दिख रहा था कि जहां उनका जूता पड़ है, वहां पर शिवलिंग है। मीडिया के साथ उस पर गुस्साए हुए लोग बस अंदर घुसे जा रहे थे, किसी ने यह भी नहीं देखा कि आस्था का अपमान हो रहा है।