डेंगू ने किया अब स्कूली बच्चों पर अटैक

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्रत्रक्र्र (२१ स्द्गश्चह्ल.): 
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सिटी में आईसीएसई के नौ स्कूल है और सीबीएसई के स्कूलों की कोई गिनती नहीं है। हजारों स्टूडेंट्स इन स्कूल्स में पढ़ते हैं। पर इन दिनों इन स्कूल्स में स्टूडेंट्स की संख्या लगातार कम होती जा रही है। इस कम हो रही संख्या के पीछे उनकी बीमारी है। हर स्कूल में, चाहे वो छोटे बच्चे हों या बड़े, बच्चे उनकी अटेंडेंस लगातार शॉर्ट हो रही है। इनमें छोटे बच्चों की संख्या ज्यादा है जो नर्सरी से लेकर यूकेजी के स्टूडेंट्स हैं। स्कूल्स से जुड़े लोगों ने बताया कि इन दिनों स्कूल्स में लगभग 10 परसेंट स्टूडेंट्स कम आ रहे हैं.
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वायरल और मलेरिया के शिकार सबसे ज्यादा छोटे बच्चे हो रहे है। नर्सरी से लेकर यूकेजी के स्टूडेंट्स की अटेंडेंस तो लगातार कम हो रही है। छोटे बच्चे इंफेक्टेड भी जल्दी होते है। सैटरडे को तो छोटे बच्चों की अटेंडेंस काफी कम देखी गई। टीचर्स के पास लगातार एप्लीकेशंस का ढेर लग रहा है। इस बारे में जब सेंट कॉनरेड्स एक्टिविटी स्कूल की टीचर अंजलि श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी क्लास में हर रोज एक या दो बच्चे तो वायरल के कारण एबसेंट होते ही हैं. 
नहीं दे पा रहे द्ग3ड्डद्व
इन दिनों कई स्कूल्स में फस्र्ट टर्म एग्जाम या टेस्ट चल रहे हैं। सीबीएसई के स्कूल्स में समेटिव एग्जाम्स भी चल रहे हैं। लेकिन स्टूडेंट्स फीवर के कारण एग्जाम देने भी नहीं आ पा रहे हैं। नॉर्मल एग्जाम्स के लिए तो स्कूल्स मेडिकल या एप्लीकेंशस से काम चला रहे हैं। लेकिन समेटिव एग्जाम्स के लिए स्टूडेंट्स को जूनियर क्लासेज के राइटर अवलेबल कराए जा रहे है। जो उनके आंसर्स को आंसर शीट पर लिख रहे हैं. 
स्कूलों में नहीं हो रही द्घशद्दद्दद्बठ्ठद्द  
वहीं, डेंगू-मलेरिया पर कारगर फॉगिंग के ऊपर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सिटी में 35 मौतों के बाद शासन स्तर से निर्देश मिले। इसके बाद भी नगर निगम ने सिटी के कुछ हिस्सों में ही फॉगिंग कराई। स्कूल्स तो फॉगिंग की सुविधा से बिल्कुल दूर हैं। आज तक सिटी के किसी भी स्कूल में फॉगिंग नहीं कराई गई है। हालांकि कई बार स्कूल्स से फॉगिंग की डिमांड की गई है। लेकिन एडमिनिस्ट्रेशन इस तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा है। नतीजा, स्कूलों में स्टूडेंट्स लगातार बीमारियों के गिरफ्त में आते जा रहे हैं. 

हमारे स्कूल्स में स्टूडेंट्स की अटेंडेंस लगातार शॉर्ट हो रही है। स्कूल्स में फॉगिंग नहीं हो रही है। हमारी एसोसिएशन नगर आयुक्त से डिमांड भी कर चुकी है। लेकिन अभी तक एक्शन नहीं लिया गया है। बच्चे लगातार बीमार हो रहे हैैं और इंफेक्शन तेजी से फैल रहा है. 
-अतुल कुलश्रेष्ठ, 
प्रदेश सचिव, वॉयस ऑफ स्कूल एसोसिएशन 

हमने अपने स्कूल में सफाई पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है। बच्चों को कहा है कि वे भी हाफ पैैंट की बजाय फुल पैैंट पहनकर स्कूल आएं।  इसके अलावा हमने एसोसिएशन ऑफ प्रोग्रेसिव स्कूल्स ऑफ आगरा की तरफ से भी एडमिनिस्ट्रेशन को स्कूल्स के आसपास फॉगिंग कराने की डिमांग रखी है.
- सुशील गुप्ता, डायरेक्टर,
प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल


हमारे पास लगातार  स्कूल्स से फॉगिंग की डिमांड आ रही है। कुछेक स्कूल्स में हमने फॉगिंग कराई भी है।  जैसे-जैसे डिमांड आएगी, हम स्कूल्स में फॉगिंग कराएंगे.
- चरन सिंह बघेल, 
जोनल सेनेटरी ऑफीसर

 

सिटी में आईसीएसई के नौ स्कूल है और सीबीएसई के स्कूलों की कोई गिनती नहीं है। हजारों स्टूडेंट्स इन स्कूल्स में पढ़ते हैं। पर इन दिनों इन स्कूल्स में स्टूडेंट्स की संख्या लगातार कम होती जा रही है। इस कम हो रही संख्या के पीछे उनकी बीमारी है। हर स्कूल में, चाहे वो छोटे बच्चे हों या बड़े, बच्चे उनकी अटेंडेंस लगातार शॉर्ट हो रही है। इनमें छोटे बच्चों की संख्या ज्यादा है जो नर्सरी से लेकर यूकेजी के स्टूडेंट्स हैं। स्कूल्स से जुड़े लोगों ने बताया कि इन दिनों स्कूल्स में लगभग 10 परसेंट स्टूडेंट्स कम आ रहे हैं।

अटेंडेंस लगातार कम हो रही

वायरल और मलेरिया के शिकार सबसे ज्यादा छोटे बच्चे हो रहे है। नर्सरी से लेकर यूकेजी के स्टूडेंट्स की अटेंडेंस तो लगातार कम हो रही है। छोटे बच्चे इंफेक्टेड भी जल्दी होते है। सैटरडे को तो छोटे बच्चों की अटेंडेंस काफी कम देखी गई। टीचर्स के पास लगातार एप्लीकेशंस का ढेर लग रहा है। इस बारे में जब सेंट कॉनरेड्स एक्टिविटी स्कूल की टीचर अंजलि श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी क्लास में हर रोज एक या दो बच्चे तो वायरल के कारण एबसेंट होते ही हैं. 

नहीं दे पा रहे एग्जाम्स 

इन दिनों कई स्कूल्स में फस्र्ट टर्म एग्जाम या टेस्ट चल रहे हैं। सीबीएसई के स्कूल्स में समेटिव एग्जाम्स भी चल रहे हैं। लेकिन स्टूडेंट्स फीवर के कारण एग्जाम देने भी नहीं आ पा रहे हैं। नॉर्मल एग्जाम्स के लिए तो स्कूल्स मेडिकल या एप्लीकेंशस से काम चला रहे हैं। लेकिन समेटिव एग्जाम्स के लिए स्टूडेंट्स को जूनियर क्लासेज के राइटर अवलेबल कराए जा रहे है। जो उनके आंसर्स को आंसर शीट पर लिख रहे हैं. 

स्कूलों में नहीं हो रही फॉगिंग  

वहीं, डेंगू-मलेरिया पर कारगर फॉगिंग के ऊपर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सिटी में 35 मौतों के बाद शासन स्तर से निर्देश मिले। इसके बाद भी नगर निगम ने सिटी के कुछ हिस्सों में ही फॉगिंग कराई। स्कूल्स तो फॉगिंग की सुविधा से बिल्कुल दूर हैं। आज तक सिटी के किसी भी स्कूल में फॉगिंग नहीं कराई गई है। हालांकि कई बार स्कूल्स से फॉगिंग की डिमांड की गई है। लेकिन एडमिनिस्ट्रेशन इस तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा है। नतीजा, स्कूलों में स्टूडेंट्स लगातार बीमारियों के गिरफ्त में आते जा रहे हैं. 

अतुल कुलश्रेष्ठ, प्रदेश सचिव, वॉयस ऑफ स्कूल एसोसिएशन-

हमारे स्कूल्स में स्टूडेंट्स की अटेंडेंस लगातार शॉर्ट हो रही है। स्कूल्स में फॉगिंग नहीं हो रही है। हमारी एसोसिएशन नगर आयुक्त से डिमांड भी कर चुकी है। लेकिन अभी तक एक्शन नहीं लिया गया है। बच्चे लगातार बीमार हो रहे है और इंफेक्शन तेजी से फैल रहा है. 

सुशील गुप्ता, डायरेक्टर, प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल-

हमने अपने स्कूल में सफाई पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है। बच्चों को कहा है कि वे भी हाफ पैट की बजाय फुल पैट पहनकर स्कूल आएं।  इसके अलावा हमने एसोसिएशन ऑफ प्रोग्रेसिव स्कूल्स ऑफ आगरा की तरफ से भी एडमिनिस्ट्रेशन को स्कूल्स के आसपास फॉगिंग कराने की डिमांग रखी है।

चरन सिंह बघेल, जोनल सेनेटरी ऑफीसर-

हमारे पास लगातार  स्कूल्स से फॉगिंग की डिमांड आ रही है। कुछेक स्कूल्स में हमने फॉगिंग कराई भी है।  जैसे-जैसे डिमांड आएगी, हम स्कूल्स में फॉगिंग कराएंगे।