न कोई ठोस पहल और न कोई अमूलचूल बदलाव की उम्मीद

ALLAHABAD: रविवार से पहले तक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (आटा) के नेतृत्व में टीचर्स ने कैम्पस के माहौल को दुरुस्त करने के लिए जो एकजुटता दिखाई, उसे कार्य परिषद की बैठक में अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। अनिश्चितताओं के दौर में सारी बातें फिर से भविष्य पर ही छोड़ दी गई हैं।

नए अंदाज में घिसी-पिटी बातें

बता दें कि पिछले कुछ दिनों के भीतर एयू कैम्पस में टीचर्स के साथ हो रहे दु‌र्व्यवहार को लेकर आटा ने गंभीरता दिखाई और सभा करके अराजकता पर विराम लगाने के लिए हुंकार भरी। इसी क्रम में संडे को वाइस चांसलर प्रो। एन। आर। फारूखी के नेतृत्व में एक्जीक्यूटिव काउंसिल की इमर्जेट मीटिंग भी बुला ली गई। इसमें शामिल मेम्बर्स को उम्मीद थी कि जरूर आकस्मिक बैठक में कोई ठोस पहल की जाएगी पर बैठक में घिसी-पिटी पुरानी बातें नए कलेवर के साथ पेश करने की ही कोशिश की गई।

ग्रीवांस कमेटी का होगा गठन

मीटिंग में शामिल कुछ मेम्बर्स से बात की गई तो इनमें से कई ने नाराजगी भरे स्वर में कहा कि बैठक लच्छेदार बातों और भविष्य की निर्माणाधीन योजनाओं तक ही सीमित रही है। फिलहाल तो बैठक में कोई ऐसी पहल नहीं की गई जिसके दम पर यह कहा जा सके कि एयू कैम्पस में आने वाले दिनों में कोई अमूलचूल सुधार देखने को मिल सकेंगे। सदस्यों की मानें तो इसमें तय किया गया है कि स्टूडेंट्स की कम्प्लेन के निस्तारण के लिए तीन स्तर पर ग्रीवांस कमेटी के गठन की बात की गई है, जिसे शिकायतें सुनने उसके इम्प्लीमेंटेशन और चार्टर के मुताबिक निर्धारित समय में उसके निस्तारण करवाने का जिम्मा सौंपा जाएगा।

इन बातों पर बनी सहमति

तय किया गया है कि कैम्पस की अराजकता से सख्ती से निपटा जाएगा और इसके लिए पुलिस से भी सहयोग लिया जाएगा। बैठक में मस्टर रोल कर्मचारियों की सेवा समाप्त किए जाने संबंधी आदेश निर्गत करने और पत्राचार कर्मियों के समायोजन से संबंधित भेजे गए प्रस्ताव पर पुनर्विचार किए जाने पर भी सहमति बनीं है। इसके अलावा कैम्पस की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए इसे दूसरे सेंट्रल यूनिवर्सिटीज की तर्ज पर विकसित किए जाने और केन्द्रीय सुरक्षा बल की तैनाती की भी बात कही गई है। बैठक में डेट ऑफ इलीजिबिलिटी से संबंधित सभी मामलों के अतिशीघ्र निस्तारण के लिए भी कहा गया है। बैठक की बाबत कुलपति प्रो। एनआर फारूखी और रजिस्ट्रार प्रो। बीपी सिंह से बात करने की कोशिश की गई पर उनका फोन नहीं उठा।

ये है पूरे विवाद की जड़

कार्य परिषद की बैठक जिन गंभीर मसलों के निस्तारण के लिए कुलपति प्रो। एनआर फारूखी के नेतृत्व में बुलाई गई। बैठक से पहले छात्रों ने कुलपति को ही आड़े हाथों ले लिया। मध्यकालीन इतिहास विभाग में विभागाध्यक्ष के साथ हुई घटना के आरोपों पर छात्रों ने कुलपति और इसी विभाग के शिक्षक प्रो। फारूखी को घेरते हुए उनसे सवाल पूछा है कि उनके अंडर में रिसर्च कर रहे नोमान अहमद को किस आधार पर सात वर्ष के बाद रिसर्च के लिए एक्सटेंशन दिया गया है। घटना के आरोपी और निलंबित शोध छात्र रवि शंकर पांडेय का आरोप है कि एक्सटेंशन की स्वीकृति बगैर विभागीय डीपीसी के सभी मेम्बर्स की स्वीकृति के दी गई है और इसे आरडीसी से भी पास करवा दिया गया है। जबकि इससे पहले विभाग के कई ऐसे शोध छात्र हैं जिनकी थिसिस सात वर्ष तक की ही समयावधि में केवल यह कहकर जमा नहीं गई कि उन्होंने इसे पूरा करने में काफी वक्त लगा दिया।

यूनियन ने भी जड़े आरोप

बहरहाल, गेस्ट हाऊस में हुई बैठक के बाहर एकत्रित छात्रों और छात्रनेताओं ने शोध छात्र का निलंबन वापस लेने की मांग की है। छात्रनेता शेष नारायण ओझा, आनन्द कुमार, राजेश सिंह, दीप सिंह आदि ने छात्रों का उत्पीड़न बंद किए जाने की चेतावनी दी है। उधर, अपनी मांगों को लेकर मौके पर पत्राचार संस्थान कर्मी भी एकत्रित रहे। वहीं मिनिस्टीरियल एंड टेक्निकल स्टॉफ यूनियन ने विवि आफिसर्स पर अराजकता फैलाए जाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें आपस में लड़वाने के लिए पत्राचार कर्मियों का समयोजन एयू कर्मियों के खाली पदों पर किए जाने का निर्णय लिया गया है।