-वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पंचकोशी परिक्रमा को निकले अखाड़ों के महामंडलेश्वर, शंकराचार्य, साधु संतों के साथ प्रशासनिक अधिकारी

PRAYAGRAJ: त्रिवेणी संगम के तट पर चल रहे कुंभ के दौरान गुरुवार को अखाड़ों के महामण्डलेश्वरों, शंकराचार्यो, साधु-संतों एवं प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से विधि-विधान से वैदिक मन्त्रोच्चार के बीच गंगा पूजन करके तीर्थराज प्रयाग की तीन दिवसीय पंचकोशी परिक्रमा शुरू हुई। इसके पूर्व संगम साधु-संतों और प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से गंगा पूजन किया गया। तीन दिवसीय पंचकोशी परिक्रमा 7 से 9 फरवरी तक आयोजित होगी। इस अवसर पर पंचकोशी परिक्रमा के महत्व के बारे में संतों ने बताया कि यह शुभ अवसर, शुभ मास है। प्रयागराज में सभी देवी देवताओं का वास होता है। इस दौरान संतों ने जनमानस से आवाहन किया कि पंचकोशी परिक्रमा कर जीवन धन्य बनायें और सभी तीथरें का पुण्य कमाएं।

यह है पौराणिक मान्यता

परिक्रमा को लेकर पौराणिक मान्यता भी है। इसमें बताया गया है कि पूर्व भाग में पांच कोस पर दुर्वासा मुनि का आश्रम, ककरा गांव में पश्चिम दिशा में पांच कोस पर बरखण्डी महादेव का मंदिर है। दक्षिण में पांच कोस पर पणरंश मुनि का आश्रम वर्तमान में पनासा गांव और अक्षयवट से पांच कोस उत्तर दिशा में मण्डलेश्वरनाथ यानि पडि़ला महादेव का मंदिर है। यही पंचकोशी परिक्रमा की सीमा है।

गंगा पूजन के बाद अक्षयवट का दर्शन

संगम पर पूजा व आरती के बाद अखाड़ों के महामण्डलेश्वर, शंकराचायरें एवं साधु-संतों ने अक्षयवट, सरस्वती कुंड का दर्शन किया। इसके बाद बनखंडी महादेव, तत्क्षक तीर्थ से मौजगिरी बाबा घाट पर स्थित मौजगिरि मन्दिर पहुंचे और वहां दर्शन-पूजन के बाद शूल टंकेश्वर मन्दिर, चक्र माधव, गदा माधव, पर्णास ऋषि के आश्रम क्षेत्र और सोमेश्वर महादेव मन्दिर पहुंचे। मेले का वीआईपी पीपा पुल पार करके झूंसी के शंख माधव में दर्शन के बाद दुर्वासा ऋषि आश्रम के बाद संगम के सेक्टर-16 में स्थित श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े पहुंचे। यहां पर भजन-कीर्तन का कार्यक्रम हुआ।

संत हुए शामिल

पंचकोशी परिक्रमा और पूजन में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष पूज्यनीय श्री नरेन्द्र गिरी जी महाराज, आचार्य महामण्डलेश्वर, जूनापीठाधीश्वर पूज्यनीय श्री अवधेशानन्द गिरि जी, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के महामंत्री पूज्यनीय श्री हरिगिरी जी महाराज, पूज्यनीय जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी वासुदेवानंद जी आदि शामिल हुए।