इस क़ानून का मतलब ये है कि अब बाज़ार में उपलब्ध सिगरेट के पैकटों पर न तो प्रतीक चिह्न लगेंगे और न ही कंपनियों के इश्तिहार लग सकेंगे। अब सिगरेटों को जैतून जैसे हरे रंग के डिब्बों में पैक कर बेचा जाएगा, जिस पर धूम्रपान से होने वाले ख़तरे दर्शाने के लिए तस्वीरें छपी होंगीं।

इस हरे रंग को इसलिए चुना गया है क्योंकि आमतौर पर धूम्रपान करने वाले इस रंग की ओर आकर्षित नहीं होते। दुनिया भर में धूम्रपान के ख़िलाफ़ छिड़ी मुहिम के बीच ऑस्ट्रेलिया इस तरह के कड़े क़दम उठाने वाला पहला देश बन गया है। अब ये क़ानून संसद के निचले सदन में भेजा जाएगा जहां इस पर वोटिंग होगी, जिसके बाद अगले साल ये क़ानून लागू कर दिया जाएगा।

तंबाकू कंपनियों का कहना है कि वे इस क़ानून को चुनौती देंगें, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई सरकार का कहना है कि वो पीछे नहीं हटेगी। ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थय मंत्री निकोला रॉक्सोन ने कहा, “हम तंबाकू कंपनियों के दबाव में आकर अपना फ़ैसला नहीं बदलेंगें। अगर वो क़ानूनी तौर पर हमें चुनौती देते हैं, तो हम उस स्थिति के लिए भी पूरी तरह से तैयार हैं।

इस क़ानून से हमारे देश में धूम्रपान की आदत को कम करने में मदद मिलेगी। कई ज़िंदगियां बच पाएंगीं और कई परिवारों को अपने परिजनों को तंबाकू से होने वाली बीमारियों से मरते हुए नहीं देखना पड़ेगा.” उधर तंबाकू उद्योग के एक प्रवक्ता ने चेतावनी दी है कि सरकार को इस क़ानूनी लड़ाई को लड़ने के लिए बहुत पैसा ख़र्च करना पड़ेगा।

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