- ओवरलोडिंग में चालान के डर से ऑटो वाले नहीं बैठा रहे 11 वर्ष से ज्यादा उम्र के बच्चे

- 11 वर्ष से ऊपर के बच्चों को निर्धारित सीट के हिसाब से ही बैठाने का प्रावधान

DEHRADUN: ऑटो रिक्शा में ओवरलोडिंग को लेकर परिवहन विभाग द्वारा की गई सख्ती का खामियाजा पैरेंट्स को भुगतना पड़ रहा है। ओवरलोडिंग में चालान के डर से अब ऑटो रिक्शा वालों ने 11 वर्ष से ज्यादा उम्र के बच्चों को ऑटो में बिठाने से इनकार कर दिया है। दरअसल 11 वर्ष से ऊपर के उतने ही बच्चों को ऑटो वाले ले जा सकते हैं, जितनी सीट में ऑटो पास हो। जबकि 11 वर्ष व इससे कम उम्र के निर्धारित सीट से दो बच्चे ज्यादा बैठाए जा सकते हैं।

 

केस वन

12 वर्ष का होते ही नो एंट्री

जाखन निवासी सहाना रहमान का 12 वर्षीय बेटा डालनवाला स्थित एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है। सहाना ने बताया कि 3 वर्ष से उनका बेटा एक ही ऑटो में स्कूल जाता रहा है। ऑटो वाला 1500 रुपए चार्ज करता था, लेकिन जब से ओवरलोडिंग के खिलाफ अभियान शुरू हुआ तो ऑटो वाले ने उनके बेटे को स्कूल छोड़ने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि मजबूरन उनको अपने बेटे को स्कूटर या फिर खुद छोड़ने जाना पड़ रहा है।

 

ऑटो के लिए प्रावधान

3 सीटर ऑटो

12 वर्ष के तीन ही बच्चे ले जा सकता है ऑटो

12 वर्ष से कम 5 बच्चे ले जाने की अनुमति

 

4 सीटर ऑटो

12 वर्ष के 4 बच्चे ही ले जा सकता है ऑटो

12 वर्ष से कम 6 बच्चे ले जाने की अनुमति

 

मनमानी पर परिवहन विभाग लाचार

ऑटो वालों की इस मनमानी पर परिवहन विभाग भी लाचार नजर आ रहा है। विभाग ऑटो रिक्शा के लिए तय नियमों को लागू करने के लिए सख्ताई तो कर सकता है, लेकिन अगर ऑटो वाले को 11 वर्ष से ज्यादा उम्र के बच्चों को स्कूल छोड़ने में नुकसान हो रहा है तो इसमें बच्चे को जबरन ऑटो में बिठाने के लिए सख्ती नहीं कर सकता। ऑटो के लिए प्रति किमी किराए के रेट भी तय नहीं हैं, ऐसे में ऑटो वालों द्वारा वसूले जाने वाले किराए को लेकर कार्रवाई भी नहीं की जा सकती।

 

ऑटो वालों को निर्धारित सीटों के हिसाब से बच्चे स्कूल छोड़ने और ले जाने का रूल फॉलो करना होगा। ऐसा न करने पर कार्रवाई की जाएगी। जहां तक 11 वर्ष से ऊपर के बच्चों को न ले जाने का सवाल है तो इसमें विभाग क्या सकता है।

दिनेश चन्द्र पठोई, आरटीओ, देहरादून।