RANCHI : ऑटो पर डंडे बरसाती ट्रैफिक पुलिस। लगातार ऑटोवालों पर उग्र होती ट्रैफिक पुलिस उन्हें चर्च रोड, काली मंदिर के पास से ऑटो हटाने को कहती है, लेकिन ऑटोवाले ऑटो को स्टार्ट करते हुए बस एक मूव लेते हैं और फिर डटे रहते हैं। वजह सिर्फ यह होती है कि जब तक वे अपने ऑटो में ठूंस-ठूंसकर पैसेंजर्स न बैठा लें, तब तक उनके ऑटो के पहिए आगे नहीं बढ़ते। चर्च रोड स्थित ऑटो स्टैंड पर यह नजारा हर दिन देखने को मिलता है। यहां ऑटो में ओवरलोडिंग का नजारा आम हो गया है। छोटे ऑटो में ओवरलोडिंग के कारण लोग हर दिन तकलीफें सहकर ही बैठते हैं। तीन लोगों की जगह पीछे की सीट पर ठूंस-ठूंसकर चार लोग और आगे एक की जगह तीन लोगों को बैठाया जाता है। सुबह छह बजे से डोरंडा से लेकर चर्च रोड के बीच चलनेवाले ऑटो में ओवरलोडिंग का नजारा देखने को मिलने लगता है। सेंट जेवियर्स कॉलेज, एक्सआईएसएस जैसे तमाम बड़े इंस्टीट्यूट्स के साथ उर्सुलाइन कॉन्वेंट स्कूल के लिए स्टूडेंट्स की भीड़ देखने को मिलती है। चर्च रोड से खुलनेवाले लगभग सभी ऑटो में पूरे दिन स्टूडेंट्स को ओवरलोडिंग का शिकार होना पड़ता है।

ओवरलोडिंग के बिना हो जाता है यूटर्न

ऑटो में जब तक ओवरलोडिंग नहीं हो जाती, तब तक ऑटोवाले चर्च रोड में यूटर्न लगाते रहते हैं। कई बार ट्रैफिक पुलिस के भगाने के बावजूद भी ऑटो ड्राइवर्स दो-तीन सवारी बैठा लेते हैं और फिर पूरे चर्च रोड के चक्कर लगाने के बाद ऑटो को यूटर्न में लेते हुए वे पहुंच जाते हैं वापस ऑटो स्टैंड। चूहे-बिल्ली की दौड़ की तरह यह ट्रिक ऑटो ड्राइवर्स ओवरलोडिंग के लिए आजमाते रहते हैं।

चेहरा छिपाते रहे ऑटोवाले

ओवरलोडिंग और ऑटो में लोगों के बैठाने की तय सीमा को जानने के लिए जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने चर्च रोड स्थित ऑटो स्टैंड पर ऑटोवाले से बात करने की कोशिश की तो, सभी चेहरे छिपाकर भागने लगे। किसी ने कहा मैं हर दिन ऑटो नहीं चलाता, इसलिए हमारे पास जानकारी नही है। एक अन्य ऑटो ड्राइवर ने कहा- मेरे पास ऑटो के पेपर्स नहीं है, इसलिए मुझे रूल्स की कोई जानकारी नहीं, बस पेट पालने से मतलब है। मीडिया में खबर छपने के बाद प्रशासन दो दिन सख्त होता है, लेकिन फिर कुछ दिन बाद हमें पैसे के लिए यह सब करना ही पड़ता है। ओवरलोडिंग को लेकर जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने एक अन्य ऑटोवाले से सवाल किए, तो वह चेहरा छिपाकर वहां चला गया।

'स्कूल जाने-आने के लिए ऑटो सबसे सही साधन लगता है, लेकिन हर रोज हमलोगों को कई तरह की परेशानियां होती हैं। ऑटोवाले जब तक पीछे की सीट पर चार लोग और आगे की सीट पर भी चार लोगों को नहीं बैठा लेते, तब तक ऑटो का खुलना नामुमकिन है.'

-सुचिता टुडू

स्टूडेंट

'कई बार ऑटो में सफर करने में हमें इनसिक्योरिटी फील होती है। पीछे की सीट पर ऑटोवाले तीन लड़कों के साथ एक लड़की को बैठा लेते हैं। स्कूल-कॉलेज की टाइमिंग से चलने की वजह से हमें ऐसे में मजबूरी में सफर करना ही पड़ता है, क्यों कि हमारे पास कोई और ऑप्शन नहीं होता है.'

-प्रतिभा

स्टूडेंट

'ऑटो में ओवरलोडिंग हर दिन और हर पल का आम नजारा है। ऑटो स्टैंड से सटा हमारा शॉप है, जहां हर रोज हम सब ऐसे नजारे से दो-चार होते रहते हैं। स्टूडेंट्स और महिलाओं को खासकर ओवरलोडिंग से परेशानी होती है, लेकिन प्रशासन इसके लिए कुछ नहीं कर रहा है.'

-शमशाद अनवर

बिजनेसमैन