- डीएम ने तमाम अधिकारियों के साथ किया दौरा

- एसटीपी के रिस्पॉन्स पर जताई संतुष्टि, बेहतर रिजल्ट के लिए दिये सुझाव

LUCKNOW: भरवारा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाला शोधित जल अब ऑटोमेटिक सेंसर बेस्ड टेस्टिंग मशीन की जांच से गुजरकर गोमती नदी में प्रवाहित किया जाएगा। इसके साथ ही एसटीपी में कुछ और संशोधन जल्द लागू कर दिये जाएंगे। शुक्रवार को डीएम राजशेखर, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी, जिला वन अधिकारी और जल निगम के अधिकारियों के साथ एसटीपी का निरीक्षण किया और उसके रिस्पॉन्स पर संतुष्टि जताई। हालांकि, एसटीपी के बेहतर रिजल्ट के लिये अधिकारियों ने कुछ सुझाव भी दिये। जल निगम के ऑफिसर्स ने इन सुझावों को अमलीजामा पहनाने के लिये दो महीने का वक्त मांगा है।

वेबसाइट पर डाला जायेगा रोज का डाटा

डीएम राजशेखर ने शुक्रवार को तमाम ऑफिसर्स की टीम ने भरवारा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया। इस दौरान अधिकारियों ने प्लांट को 85 परसेंट क्षमता पर काम करता देख संतुष्टि जताई। गौरतलब है कि प्लांट की क्षमता 345 एमएलडी है और वर्तमान में प्लांट हर रोज 300 एमएलडी सीवेज युक्त जल को शोधित कर रहा है। अधिकारियों ने प्लांट के भीतर जा रहे सीवेज युक्त जल और निकल रहे शोधित जल के आंकलन में 10 प्रतिशत की चूक पर चिंता जाहिर की और उसे तुरंत सुधारने के निर्देश दिये। टीम ने प्रतिदिन प्लांट में शोधित होकर गोमती में छोड़े जा रहे जल की गुणवत्ता पर संतोष जाहिर किया। टीम ने गुणवत्ता जांचने के लिये अपनाई जा रही मैन्युअल प्रणाली पर असंतोष जताते हुए प्लांट में ऑटोमेटिक सेंसर युक्त टेस्टिंग मशीन लगाने और हर रोज के डाटा को वेबसाइट पर प्रसारित करने का निर्देश दिया। इस पर जल निगम के एग्जिक्यूटिव इंजीनियर ने टीम को आश्वासन दिया कि दो महीने में सेंसरयुक्त टेस्टिंग प्रणाली को इंस्टॉल कर दिया जाएगा।

बनेगी आयुर्वेद वाटिका

डीएम राजशेखर ने बताया कि एसटीपी कैंपस को बेस्ट ग्रीन कैंपस के रूप में डेवलप किया जाएगा। इसके लिये कैंपस में 3000 पेड़ लगाए जाएंगे। साथ ही एक आयुर्वेद वाटिका भी डेवलप की जाएगी। इस वाटिका में जड़ी-बूटियों के पौधे रोपित किये जाएंगे। पहले चरण में स्वतंत्रता दिवस पर कैंपस में एक हजार पेड़ लगाए जाएंगे। जबकि, वृक्षारोपण का पूरा काम आगामी छह महीनों में पूरा करने की योजना है। डीएम ने बताया कि फिलवक्त 37 नालों को सीवेज प्लांट से जोड़ दिया गया है। जबकि, विभिन्न कारणों से सात नालो का पानी अब भी गोमती नदी में गिर रहा है। उन्होंने बताया कि इस समस्या को देखते हुए दो नये एसटीपी को मंजूरी दे दी गई है और इनका काम भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा।

इन सुझावों पर होगा अमल

क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी कुलदीप मिश्र ने निरीक्षण के दौरान प्लांट में संशोधन के लिये सुझाव दिये। उन्होंने कहा कि प्लांट में जाने वाले व शोधित होकर निकलने वाले जल की ऑनलाइन मॉनीटरिंग बेहद जरूरी है, इसलिए ऑनलाइन मॉनीटरिंग सिस्टम इंस्टॉल किये जाने की जरूरत है, इसके लिये उन्होंने जल निगम के अधिकारियों से तुरंत प्रस्ताव भेजने को कहा। साथ ही शोधित होकर निकलने वाले जल में क्लोरीन मिलाने का निर्देश दिया। ओवरफ्लो पाइप को शोधित होकर निकलने वाले जल के साथ मिलाने पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने बिना शोधित जल को किसी भी सूरत में गोमती नदी में प्रवाहित करने पर रोक लगाने का सुझाव दिया। जल निगम अधिकारियों ने इन सुझावों का पालन करने का आश्वासन दिया।