- आरओ वॉटर करें रिसाइकिल, वहीं घर में करें वॉटर रीचार्ज की व्यवस्था

GORAKHPUR: केपटाउन पानी की किल्लत से जूझ रहा है। इंडिया में भी कई ऐसी जगह मौजूद हैं, जहां लोगों को पानी नसीब नहीं है। गर्मी के दिनों में खासतौर पर देश के कुछ हिस्सों में पानी की किल्लत हो जाती है। गोरखपुर में ऐसी कंडीशन तो नहीं आती, लेकिन बिजली न होने से पानी के लिए लोग परेशान जरूर होते हैं। लेकिन जिस तरह से हम पानी बर्बाद कर रहे हैं, उससे वह दिन दूर नहीं जब हमें भी पानी के लिए जूझना पड़ेगा और पानी के लिए जंग करनी पड़ेगी।

70 परसेंट कर रहे हैं इस्तेमाल

जमीन के अंदर जो पानी मौजूद है, उसका इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए। एनवायर्नमेंटलिस्ट डॉ। गोविंद पांडेय ने बताया कि ग्राउंड की पहली और दूसरी सतह में जो भूमिगत जल है उसका 50 परसेंट से भी कम इस्तेमाल किया जाना चाहिए। मगर एक सर्वे के दौरान जब सिटी का ग्राउंड वॉटर डेवलपमेंट रेट निकाला गया तो यह 70 परसेंट के आसपास पाया गया, जो सामान्य से 20 परसेंट अधिक है। जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल होने और प्रॉपर वॉटर रीचार्ज न होने की वजह से वॉटर लेवल लगातार घटता जा रहा है।

नहीं हो पाता है प्रॉपर रीचार्ज

डॉ। गोविंद पांडेय ने बताया कि सिटी में लगातार बढ़ रहे कंक्रीट के जंगल और पक्की सड़कों की वजह से वॉटर रीचार्ज नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह से लगातार पानी का लेवल भी गिर रहा है। ऐसा इसलिए कि शहर में लगातार मकानों की संख्या बढ़ती जा रही है और जमीन में कंक्रीट की मोटी-मोटी परत बिछ चुकी है। यहां बरसात का पानी ग्राउंड में नहीं पहुंच पाता और पानी नालियों के जरिए तालाबों या नदियों में चला जाता है, जिससे ग्राउंड वॉटर क्राइसिस बढ़ती चली जाती है। वहीं हरियाली भी कम होती जा रही है, जिसकी वजह से बारिश की मात्रा भी कम होती जा रही है।

लोगों को करें खतरे से आगाह

वॉटर की वेस्टेज को कम करने और उसे सेफ करने का सबसे बेहतर तरीका है, अवेयरनेस। अगर लोग पानी के वेस्टेज से होने वाले खतरे से आगाह हो गए और उन्हें इस बात का अहसास हो गया कि हम जो कर रहे हैं, उससे क्या प्रॉब्लम हो सकती है, तो वॉटर वेस्टेज को कुछ हद तक रोका जा सकता है। इसके लिए सबसे कारगर हथियार अवेयरनेस प्रोग्राम ही है। घर-घर जाकर, नुक्कड़ नाटक, एड, पोस्टर और बैनर के थ्रू पानी के वेस्टेज को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

नहाने के लिए नहीं, लेकिन गार्डन में यूज

पानी का वेस्टेज कम कर हम पानी जरूर बचा सकते हैं, लेकिन पानी को रिसाइकिल कर इसके वेस्टेज को और कम किया जा सकता है। डॉ। गोविंद पांडेय की मानें तो गंदा पानी भी बड़े ही काम का है। इससे प्यास तो नहीं बुझाई जा सकती, लेकिन आग जरूर बुझाई जा सकती है। इसका यूज नहाने के लिए नहीं किया जा सकता, लेकिन गार्डन में पौधों को पानी देने के लिए इसका यूज कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि ग्रे वॉटर, जिसमें टॉयलेट वॉटर नहीं आता, उनको दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। टॉयलेट वॉटर में ऑर्गेनिक पॉल्युशन होता है, इसलिए इसको रिसाइकिल कर यूज नहीं किया जा सकता।

25 परसेंट तक कम वेस्टेज

घर में पानी के लिए जगह-जगह टैप और फिटिंग्स लगी रहती हैं। इनसे पहले काफी पानी वेस्ट होता था, लेकिन इन दिनों कंपनीज ने इनकी डिजाइन काफी चेंज कर दी है, जिससे कि 25 परसेंट तक पानी के वेस्टेज को कम किया जा सकता है। डॉ। पांडेय ने बताया कि पहले टैप से डायरेक्ट पानी बाहर आता था, लेकिन इन दिनों कंपनी ने टैप के एग्जिट प्वाइंट को अपग्रेड करके छोटे-छोटे छेद कर दिए हैं, जिनसे पानी फोर्सली बाहर आता है। इससे कम पानी में जरूरत पूरी हो जाती है।

एरिया वाइज से बदलती है वॉटर क्वालिटी

पीने का पानी पूर्वाचल की सबसे बड़ी प्रॉब्लम है। पानी की क्वालिटी की बात करें तो यह एरिया बदलने के साथ ही चेंज होती रहती है। इसलिए जरूरी है कि एरिया के अकॉर्डिग ही वाटर प्योरिफायर का यूज किया जाए। पूर्वाचल में पानी की क्वालिटी साल्ट की वजह से नहीं बल्कि बैक्टेरिया और फंजाई की वजह से खराब है, इसलिए यहां पर बजाए आरओ प्योरिफायर के यूज के सिर्फ अल्ट्रा प्योर वाटर सिस्टम से पानी को प्योर किया जाए। इससे कम पानी बर्बाद होगा।

वर्जन

वॉटर की वेस्टेज को कम करने और उसे सेफ करने का सबसे बेहतर तरीका है अवेयरनेस। रिसाइकिल कर यूज करने से पानी की काफी बचत की जा सकती है।

- डॉ। गोविंद पांडेय, एनवायर्नमेंटलिस्ट