-आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार को विजिलेंस ने पकड़ा

- 68 लाख रुपए से अधिक के घपले की जांच में आरोपी

देहरादून

आयुर्वेद विश्वविद्यालय हर्रावाला के रजिस्ट्रार रहते लाखों रुपए के सरकारी गबन के मामले में बहुचर्चित अफसर मृत्युंजय मिश्रा को पुलिस की विजिलेंस टीम ने मंडे को गिरफ्तार कर लिया है। उसके खिलाफ गबन की ओपन इन्क्वायरी की गई थी। जांच में फर्जी यात्राएं कर बैक डेट में लाखों रुपए के बिल पास कराने और फर्जी फर्म बनाकर उनके बिल भुगतान के फर्जीवाड़े का आरोपी निकला। विजिलेंस टीम ने खुली जांच में घपले के साक्ष्य मिलने पर उसे गिरफ्तार कर लिया। देर रात पटेल नगर थाने में मृत्युंजय मिश्रा से पूछताछ चल रही थी। आज उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा।

एडीजी विजिलेंस आरएस मीना ने बताया कि मृत्युंजय कुमार मिश्रा के खिलाफ उत्तराखंड आयुर्वेद विश्विद्यालय में कुल सचिव रहते हुए वर्ष 2013 से 2017 के बीच 68 लाख रुपए से अधिक के फर्जीवाड़े की शिकायत मिली थी। जिसमें बिना अनुमति के यात्राएं दिखाकर कूटरचित यात्रा टिकटों के जरिए भुगतान उठाने के अलावा सामान की आपूर्ति एवं विश्वविद्यालय के कार्य करने काम के कूट रचित एवं फर्जी पेपर लगाकर फर्जी फर्म व नामों से बैंक खाते खुलवाकर उनमें रकम ट्रांसफर करने के आरोप थे। मामले की शिकायत प्राप्त होने पर सरकार को केस की ओपन इंक्वायरी के लिए लिखा गया। सरकार से आदेश मिलने पर दो माह पहले ही विजिलेंस टीम ने केस की ओपन इंक्वायरी शुरू की और तमाम दस्तावेजों की गहन पड़तान की गई। जांच में पाया गया कि आपूर्तिकर्ता फ र्मो के माध्यम से सांठ-गांठ कर मृत्यंजय कुमार मिश्रा एवं उनके परिजनों के खातों में नकद एवं बैंक ट्रान्जेक्शन के जरिए 68.2 लाख रूपये जमा हुये है। इस पर विजिलेंस टीम ने मंडे इवनिंग में मृत्युंजय कुमार मिश्रा को ईसी रोड से सटे मोहिनी रोड पर स्थित उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया।

हवा में कर डाली लाखों रुपए की फर्जी यात्राएं:

मृत्युंजय मिश्रा ने दून के हर्रावाला स्थित आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुल सचिव रहते हुए वर्ष 2013 से 2017 के बीच धांधली का बड़ा खेल चलाया। बेलगाम अफसरों में शुमार मृत्युंजय मिश्रा ने लाखों रूपए के यात्रा बिल उठाए। विजिलेंस की जांच में पाया गया कि यात्रा जिस डेट में दर्शाई गई, बिल उसके बाद की डेट के लगाए गए। ऐसे में यात्रा पहले और बिल बाद का कैसे हो सकता है। इनमें अधिकतर यात्रा बिल हवाई जहाज के हैं।

न सामान खरीदा, न निर्माण हुआ और भुगतान फटाफट: आयुर्वेद विश्वविद्यालय में विभिन्न आईटम्स की सप्लाई और निर्माण कार्यो के बदले 38 लाख रुपए से अधिक के भुगतान की विजिलेंस टीम ने परते खंगाली तो खुलासा हुआ कि जिल फर्मो के नाम से पेमेंट किया गया है, वे उनकी पत्नी के नाम से हैं, और वह रकम बाद में फर्मो के खातों से मृत्युंजय और उसके बेटे के खाते में ट्रांसफर हो गई।

करप्ट अफसर को रात भर थाने में रखने से मुकर गई पुलिस:

विजिलेंस टीम ने मृत्युंजय मिश्रा को गिरफ्तार कर रात भर रखने के लिए पटेल नगर थाने भेजा, लेकिन पटेल नगर पुलिस ने उसे हिरासत में रखने से इनकार कर दिया। गौरतलब है कि पटेल नगर थाना पुलिस पिछले दिनों ही चौकी में एक व्यक्ति की मौत मामला झेल रही है। ऐसे में विजिलेंस टीम मृत्युंजय मिश्रा को लेकर रात भर भटकती रही।

पत्नी और बेटे को भी ले डूबा मृत्युंजय मिश्रा:

घपले बाज अफसर ने लालच की पट्टी अपनी आंखों पर इस कदर बांध ली कि पत्नी बच्चों को भी फर्जीवाडे में घसीट लिया। विजिलेंस जांच में जो तथ्य मिले उनमें फर्जी फर्म बनाकर सप्लाई और अन्य कार्यो के 32 लाख 15 हजार रूपये हड़पने के चक्कर में फर्जी फर्म बनाई, जिसमें संचालक की जगह पत्नी का नाम और मोबाइल नंबर दर्ज है। सरकारी रकम को पहले फर्म के खाते में ट्रांसफर किया। फिर खुद के और बेटे के खाते में ले लिया। ऐसे में जांच आगे बढ़ने पर उनके पत्नी-बेटा भी फर्जीवाड़े में गिरफ्तार हो सकते हैं।