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-मरीजों को नहीं मिल पा रहा है आयुष्मान योजना का लाभ

-लोगों को पता ही नहीं कि सूची में शामिल है उनका नाम

आयुष्मान योजना पर एक नजर

2.5 लाख जिले में कुल लाभार्थी परिवार

5 लाख एक परिवार को सालाना निशुल्क इलाज की सीमा

23 सितंबर को योजना हुई थी लांच

33 मरीजों का अब तक जिले में कुल मरीजों का हुआ इलाज

vineet.tiwari@inext.co.in

ALLAHABAD: आयुष्मान योजना का लाभ गरीबों तक नहीं पहुंच पा रहा है। मजबूरी में मरीज अपने पैसे से इलाज कराने को मजबूर हैं। पिछले एक महीने में मरीजों का डेटा देखें तो साफ हो जाता है कि बहुत कम संख्या में लोगों को आयुष्मान योजना का लाभ मिल सका है। 23 सितंबर को योजना लांच होने के बाद से अभी तक महज 33 मरीजों का ही इलाज किया जा सका है। जबकि लाभार्थियों की संख्या जिले में लाखों में हैं। बताया जाता है कि योजना के संचालन में कमियों के चलते ऐसी स्थिति पैदा हो रही है।

जितने हॉस्पिटल उतने भी नहीं नाम

जिले में आयुष्मान योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग ने कुल 101 हॉस्पिटल्स को पैनल में शामिल किया है। इसमें से 15 हॉस्पिटल सरकारी हैं और बाकी प्राइवेट। इन हॉस्पिटल्स में योजना के तहत मरीजों को इलाज मुहैया कराया जा सकेगा। लेकिन इतना सब होते हुए भी मरीजों की संख्या 28 दिनों में महज 33 तक ही पहुंची है।

फ्लॉप होने की यह वजहें

-इसकी सबसे बड़ी वजह गवर्नमेंट की लचर पॉलिसी है।

-बिना योजना का भरपूर प्रचार-प्रसार किए लांच कर दिया गया।

-लाभार्थियों को यह भी नहीं पता कि वह उनका नाम सूची में शामिल है।

-प्राइवेट हॉस्पिटल्स को उपलब्ध नहीं कराए गए आरोग्य मित्र।

-बीमारियों के अनुसार योजना में बनाए गए पैकेज की जानकारी खुद विभागीय अधिकारियों को नहीं।

-निजी हॉस्पिटल्स योजना को लेकर अभी तक नहीं पूरी तरह जानकार।

-योजना के संचालन को टेक्निकल स्टाफ को नहीं किया गया है ट्रेंड।

अभी और बढ़ेंगे हॉस्पिटल्स

सरकार का आदेश है कि योजना का अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल्स की सूची में संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। यही कारण है कि जल्द ही इनकी संख्या 150 पहुंचने वाली है। खासकर ग्रामीण इलाकों के हॉस्पिटल्स को पैनल में ऑनलाइन अप्लाई करने की अपील की गई है। बावजूद इसके टेक्निकल स्टाफ की कमी के चलते योजना का पूरी तरह संचालन नहीं हो पा रहा है।

योजना के संचालन के शुरुआती दौर में थोड़ी दिक्कत हो रही है। टेक्निकल स्टाफ को ट्रेंड किया जा रहा है। प्रचार-प्रसार भी व्यापक तौर पर जारी है। मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी किए जाने के प्रयास चल रहे हैं।

-डॉ। एके तिवारी, नोडल, आयुष्मान योजना