-आजाद देश में घूसखोरों से नहीं मिल पा रही है आमजन को आजादी

- काम कराने के एवज में कई सरकारी विभागों में होती है रुपये की डिमांड

केस-वन

मई माह में नगर निगम के कर अधीक्षक को नगर आयुक्त ने इसलिए सस्पेंड कर दिया था कि उनके खिलाफ धन वसूली की कई शिकायतें मिली थी। यही नहीं, जनहित से जुड़ी फाइलों में कई गड़बड़ी भी पाई गई थी। बिना पैसा लिए काम नहीं करने का आरोप सबसे अधिक था।

केस-टू

अप्रैल लास्ट वीक के दौरान वीडीए में एक जेई को उपाध्यक्ष राजेश कुमार ने इसलिए सस्पेंड कर दिया था कि जेई ने ढाब क्षेत्र में अवैध निर्माण कराया और रिपोर्ट भी दबाये रखा। निर्माण के दौरान पैसे मांगने का आरोप भी था। मामला हाईलेवल तक पहुंचा तो वीडीए वीसी ने तत्काल निलंबित कर दिया था।

केस-थ्री

जल संस्थान में कार्यरत एक बाबू को एंटी करप्शन की टीम ने रंगेहाथ बीस हजार रुपये के साथ पकड़ा था। ठेकेदार का पैसा पास कराने के एवज में उक्त बाबू ने बीस हजार रुपये का घूस मांगा था।

यह केस तो महज एक बानगी भर है। शहर के अधिकतर ऐसे विभाग हैं जहां बगैर लक्ष्मी पूजा के कोई काम नहीं होने होता। कुछ जागरूक लोग भी हैं जो आवाज उठाते हैं लेकिन चार दिन की चांदनी के बाद हालात फिर वहीं लेन-देन वाला होता है। चाहे नगर निगम हो, वीडीए, ट्रेजरी ऑफिस, आरटीओ, पीडब्ल्यूडी, पासपोर्ट ऑफिस, पुलिस थाना या फिर सरकारी अस्पताल हर विभाग में आमजन से धन उगाही होती है। जब तक काम का दाम नहीं देंगे जब तक काम होने की उम्मीद भी छोड़ दीजिए। देश तो आजाद हो गया लेकिन घूसखोरों से आजादी कब मिलेगी? यह सवाल आमजनों की जेहन में अभी भी कौंध रहा है।

सरकारी तंत्र से लुट रहा जनतंत्र

गवर्नमेंट ऑफिसेज में घूस मांगकर काम करने वालों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही होती तो है लेकिन कठोर कार्यवाही नहीं होने के चलते मनोबल उनका हमेशा आसमान पर ही रहता है। एंटी करप्शन की टीम उसी को पकड़ेगी जिसकी कम्प्लेन की जाती है। ऐसे भी एंटी करप्शन की टीम भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में असफल रहा है। जागरूकता की कमी के चलते आम आदमी बिना किसी पचड़े में पड़ने से किनारा करते हुए पैसा देना ही मुनासिब समझता है। बस किसी तरह काम हो जाए यही सोचता है।

मकान का निर्माण कराइए तो इलाके के वीडीए जेई को खुश करना पड़ता है। नहीं करेंगे तो कुछ न कुछ कमी निकालकर काम ही रोकवा देंगे। फाइल निकलवाने में भी जेब गर्म करना पड़ता है।

राजकुमार मिश्रा, लहरतारा

नगर निगम के किसी भी विभाग में चले जाइए काम कराने के एवज में सुविधा शुल्क की डिमांड होना तय है। जन्म प्रमाणपत्र बनवाने में बिना शुल्क फाइल आगे नहीं बढ़ती है।

पवन कुमार, सिगरा

सबसे अधिक घूसखोरी वीडीए में होती है। दुकान, मकान निर्माण के दौरान वीडीए के इलाकाई स्टाफ दस्तक देना शुरू कर देते हैं। जब तक माल नहीं मिलता है तब तक काम रूकवाने की धमकी देते रहते है।

आकाश दुबे, शिवपुर

सरकारी अस्पतालों में भी कम घूसखोरी नहीं है। मेडिकल कराने पहुंच गए तो डॉक्टर साहब के पेटेंट दलाल मजबूत रिपोर्ट बनवाने के एवज में पैसे की डिमांड करते हैं। नहीं देने पर डॉक्टर साहब गंभीर चोट को भी हल्का करार कर देते हैं।

अजय तिवारी, तीमारदार