- आजमगढ़ महोत्सव के दूसरे दिन सांस्कृतिक संध्या का आयोजन

- आजमगढ़ के हरिहरपुर से आये कलाकारों ने बांधा समां

LUCKNOW: राग बसंत, राग भैरवी व ठुमरी के साथ कई रागों से कलाकारों ने ऐसा समां बांधा कि श्रोता उनके ही रंग में रंग गये। पर्यटन भवन में चल रहे आजमगढ़ महोत्सव के दूसरे दिन सोमवार को आजमगढ़ के हरिहरपुर से आये शास्त्रीय संगीत के कलाकारों ने अपनी जादुई आवाज से श्रोताओं का दिल जीता।

जरा कह दो सावरियां

तीन प्रस्तुतियों में श्रोताओं को कई राग सुनने को मिले। पहली प्रस्तुति द्वारिका नाथ मिश्रा ने दी जिसमें राग पूरिया, ठुमरी व राग भैरवी में पायलिया झंकार, घाघरिया मैं घरे भूल आई व आये करे जरा कह दो सावरियां से गाकर सांस्कृतिक संध्या का आगाज किया, जिसको सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये। इसके बाद पंडित पन्ना लाल मिश्र के शिष्य पंडित सुदर्शन मिश्र ने अपनी गायिकी से लोगों को रुबरु करवाया। जिसमें उन्होंने छोटा ख्याल में साजन बिन बावरी भायै रे गाया तो उसके बाद उन्होंने ठुमरी में परदेशी सैयां हो जन जा विदेश गाकर श्रोताओं को शास्त्रीय व उपशास्त्रीय संगीत से रुबरु करवाया।

भोलानाथ ने लूटी वाहवाही

अतिम प्रस्तुति हरिहरपुर से ही आये भोलानाथ मिश्र ने दी जिसमें उन्होंने राग बसंत में सरस रंग फूल रहे, राग देश में ठुमरी सैया बुलावै आधी रात व होरी ठुमरी में कौने तरह से खेलत होरी गाकर लोगों की वाहवाही बटोरी। संगतकर्ता पर तबले पर विश्वनाथ मिश्र, हरम्यूनियम पर संतलाल मिश्र, सांरगी पर कमलेश मिश्र ने साथ दिया।