RANCHI : अब यह नहीं चलेगा कि एक बार मान्यता ले ली और सालों साल कॉलेज चलाते चले आ रहे हैं। अब सरकारी हो या प्राइवेट, सभी बीएड कॉलेजों को हर साल ने नेशनल काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एनसीटीई) से मान्यता लेनी होगी। इससे पहले सिर्फ एक बार ही मान्यता लेने का प्रॉविजन था। इतना ही नहीं, क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया से हर पांच वर्ष पर गुणवत्ता का प्रमाणन कराना होगा, अन्यथा एनसीटीई उनकी मान्यता रद्द कर देगी। इस बाबत एनसीटीई ने रेगुलेशन 2014 में संशोधन कर अधिसूचना जारी कर दी है। झारखंड समेत देश के सभी बीएड व एमएड कॉलेजेज में ये नए नियम त्वरित प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं।

मॉनिटरिंग के लिए उठाया कदम

एनसीटीई के मुताबिक, बीएड कॉलेजों में शैक्षणिक और भौतिक संसाधनों की रेगुलर निगरानी के लिए ये कदम उठाया जा रहा है। इस निर्णय से क्वालिटी एजुकेशन की दिशा में और बेहतर काम होगा। चूंकि टीचर एजुकेशन मजबूत होगा तो भविष्य में और बेहतर विद्यार्थी प्रदेश सहित देशभर को मिलेंगे।

मान्यता के लिए फीस तय

एनसीटीई ने मान्यता के लिए फीस भी तय कर दिए हैं। सरकारी बीएड कॉलेजों के लिए फीस की राशि पांच हजार व प्राइवेट बीएड कॉलेजों के लिए यह 15 हजार तय की गई है। इसमें बीएड, एमएड, बीपीएड, एमपीएड, बीएलएड, टीचर एजुकेशन से जुड़े इंट्रीग्रेटेड कोर्स का संचालन करने वाले कॉलेज भी शामिल हैं।

वेबसाइट पर देनी होगी पूरी जानकारी

एनसीटीई के नए गाइडलाइन के मुताबिक, सभी बीएड कॉलेजों को अपने इंफ्रास्ट्रक्चर, फैकल्टी और छात्रों की पूरी जानकारी वेबसाइट पर अपडेट रखनी होगी। इसकी निगरानी भी किसी स्वतंत्र ऑनलाइन एजेंसी से कराई जाएगी, जिसका पेमेंट भी कॉलेजों को ही करना होगा।

पांच साल में लेना होगा एक्रेडिटेशन

सभी बीएड कॉलेजों को एनसीटीई से मान्यता मिलने वाली तिथि के पांच साल के भीतर अनिवार्य रूप से एक्त्रेडिटेशन कराना होगा। पहले बीएड कॉलेजों कि गुणवत्ता का प्रमाणन राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् नैक किया करती थी। अब प्रमाणन की जिम्मेदारी क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया को दी गयी है, जो बीएड कॉलेज पांच साल पुराने हैं उन्हें एक साल के भीतर एक्त्रेडिटेशन कराना अनिवार्य होगा।

अपनी जमीन होना अब जरूरी

किसी भी बीएड कॉलेज को तब तक मान्यता प्रदान नहीं की जाएगी जबतक उनके पास आवेदन की तारीख को अपेक्षित भूमि उपलब्ध न हो.् सरकारी बीएड कॉलेजों के मामले में यह शर्त शिथिल कर दी गई है। केंद्रीय व राज्य सरकार की संस्थानों अथवा विश्वविद्यालय के पास 30 वर्ष से अवधि वाले लीज की जमीन होने पर भी मान्यता दी जाएगी।