- बाल आयोग ने रेस्क्यू की रस्सी पर करतब दिखाती 10 वर्षीय बच्ची

- चाचा ही जान जोखिम में डालकर करा रहा था सड़क पर करतब

देहरादून।

अपने ही बचपन के दुश्मन बने हुए हैं। कोई जिगर के टुकड़ों से नशाखोरी कराने पर आमादा है तो कोई उनकी जान जोखिम में डालकर कमाई कर रहा है। जिस उम्र में कलम और किताब मासूमों के हाथ में होनी चाहिए उस उम्र में अगर नशे की पुडि़या थमा दी जाए तो समझा जा सकता है इस बचपन का क्या हश्र होगा। दून में इसी तरह के तीन केस हाल ही में सामने आए। एक में सात साल की मासूम से उसकी मौसी ही नौकरानी का काम ले रही थी, दूसरे में अपने सात साल के बेटे से मां नशे का धंधा करा रही थी। संडे को एक और केस सामने आया जिसमें चाचा अपनी 10 वर्षीय मासूम भतीजी की जान जोखिम में डाल रस्सी पर उससे करतब करा रहा था। तीनों केसेज में बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक्शन लिया और मासूमों को रेस्क्यू किया।

केस-1

जान जोखिम में डाल बच्ची पर सितम

प्रेमनगर के पास चकराता रोड पर एक 10 वर्षीय मासूम बच्ची बीच रोड पर रस्सी पर करतब करते दिखी। इसी दौरान बाल आयोग की अध्यक्ष व सदस्य ऑफिस से लौट रहे थे। उन्होंने ये नजारा देखा तो मामले की तफ्तीश करने उतरे। बच्ची से पूछा तो उसने बताया कि वह अपने चाचा के साथ रस्सी पर करतब दिखाती है। बाल आयोग की टीम बच्ची और उसके चाचा को लेकर प्रेमनगर थाने पहुंच गई। बच्ची को रेस्क्यू किया गया और उसे स्कूल भेजने की कवायद शुरू की गई है। इसके बाद बच्ची को महिला कॉन्स्टेबल के साथ उसके घर पहुंचा दिया गया।

केस-2

मां के साथ नशा बेचते पकड़ा बच्चा

सैटरडे को भी बाल आयोग की ओर से बिंदाल बस्ती में छापेमारी के दौरान एक महिला के साथ सात वर्षीय बच्चे को नशे की पुडि़या बेचते पकड़ा। बच्चे के पास से नशे की 4-5 पुडि़या बरामद हुई थीं, बाल आयोग की टीम और पुलिस को देख बच्चे की मां मौके से फरार हो गई थी। बच्चे को बाल आयोग ने रेस्क्यू किया और खुड़बुड़ा पुलिस के हवाले कर दिया था। पुलिस ने पूछा तो बच्चे ने बताया कि बिंदाल बस्ती में महिलाएं ही बच्चों से नशे का धंधा करवाते हैं।

केस-3

मौसी ही घिसवा रही थी घर के बर्तन

12 जुलाई को बाल आयोग की ओर से खुड़बुड़ा क्षेत्र से एक सात वर्षीय बच्ची को रेस्क्यू किया गया था। दरअसल बच्ची का एक वीडियो पड़ोसियों ने बना लिया था। जिसे चाइल्ड लाइन को भेजा गया था। जिसके बाद चाइल्ड लाइन ने बाल आयोग के सहयोग से बच्ची को रेस्क्यू किया। बच्ची के घर पहुंचे तो पता चला कि मौसी ने डेढ़ साल से बच्ची को अपने पास रखा हुआ था और उससे झाड़ू पोछा करवा रही थी। बच्ची से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि उससे दूसरे घरों में भी काम कराया जाता था और ना-नुकर करने पर मारपीट की जाती थी। आयोग ने बच्ची को रेस्क्यू कर उसके पैरेंट्स को बुलाया और बच्ची को उनके हवाले कर दिया।

बाल आयोग की ओर से लगातार ऐसे बच्चों को रेस्क्यू किया जा रहा है। जिनसे काम करवाया जा रहा है। हालांकि पिछले कुछ दिनों में अपने ही लोग बच्चों के साथ बुरा व्यवहार करते और उनसे काम करते हुए पाए गए हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। ताकि ये सबक बन सके। ऐसे मामलों में लोग ये समझ लें कि पढ़ाई की उम्र में बच्चों से काम न कराया जाए वरना इस पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।

- ऊषा नेगी, अध्यक्ष, बाल अधिकार संरक्षण आयोग