- आज अमरनाथ यात्रा को रवाना होंगे दो जत्थे, 7 दिन में 8 जत्थे होंगे रवाना

- लास्ट ईयर बालटाल के हादसे का सामना करने के बाद भी कम नहीं हुई आस्था

BAREILLY:

जम्मू-कश्मीर में हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बावजूद बाबा अमरनाथ के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के वहां जाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। श्रद्धालुओं की आस्था देखते ही बन रही है। तभी तो बरेली से करीब 2 सौ श्रद्धालु अमरनाथ दर्शन पर जाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। महज सात दिनों के भीतर शहर के विभिन्न इलाकों से 8 जत्थे रवाना होंगे। इसमें से ज्यादातर वह लोग हैं जो पिछले साल भी बादल फटने के बाद जान हथेली पर लेकर घर वापस आए थे।

भोलेनाथ करेंगे मदद

थर्सडे को अमरनाथ यात्रा के लिए बरेली से दो जत्थे रवाना होंगे। इसमें करीब 41 लोग शामिल होंगे। जिसमें ज्यादातर युवा हैं। पहला जत्था कैंट इलाके के सदर निवासी प्रेम तो दूसरा जत्था नवादा शेखान निवासी जितेंद्र के नेतृत्व में रवाना होगा। हालांकि ट्रेन बुकिंग अलग होने से दोनों जत्थे अपने समयानुसार रवाना होंगे। प्रेम के मुताबिक लास्ट इयर करीब 6 दिनों तक बालटाल में फंसे थे। तमाम मुश्किलों के बाद भी वह सुरक्षित वापस लौट आए थे। इसी तरह इस बार भी उनके जत्थे ने बाबा अमरनाथ का दर्शन करने की योजना बनाई है। भोलेनाथ मदद करेंगे।

परिवार ने की है रोकटोक

जत्थों में शामिल लोगों के मुताबिक उनके परिवार वालों ने उन्हें रोकने के हर संभव प्रयास किए हैं। हर किसी ने अपनी तरीके से जाने वालों को चेतावनी दी है। लेकिन बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करने का उत्साह उनमें देखते ही बन रहा है। नवादा शेखान निवासी जितेंद्र ने बताया कि वह पिछले करीब 12 वर्षो से लगातार यात्रा पर जा रहे हैं। वापस आने पर मन्नत के अनुरूप भंडारे का आयोजन भी करते हैं। लास्ट इनकी बस मलबे के चपेट में भी आ गई थी। फिर भी उनका जत्था जाने की तैयारी कर रहा है। होनी को यह भगवान की इच्छा मानते हैं।

हो रही है पत्थरबाजी

एक ओर शहर से जत्थे जाने के लिए रवाना हो रहे हैं तो दूसरी ओर कश्मीर में फंसे लोगों को हर पल घर की चिंता सता रही है। वहीं, घर वाले भी उनकी सलामती के लिए कई मन्नतें भगवान से मान रखी हैं। कश्मीर में हमलों से पहले अमरनाथ यात्रा को रवाना हुए एक जत्थे के श्रद्धालु जगवेंद्र पटेल ने बताया कि यहां पर जम्मू के नंबर की बसों पर पत्थरबाजी हो रही है। जबकि अन्य गाडि़यों पर कोई हमला नहीं कर रहा है। सर्वाधिक हमले श्रद्धालुओं से भरी बसों पर हो रहे हैं।

हर कोई यात्रा पर न जाने की हिदायत दे रहा है। 12 वर्ष पहले देह में शक्ति होने तक यात्रा का प्रण लिया था। जिसे टाल नहीं सकता हूं।

जितेंद्र, श्रद्धालु

लास्ट ईयर बालटाल में बादल फटने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। लेकिन अगर बाबा बुला रहे हैं तो जाऊंगा जरूर।

प्रेम, कैंट