क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ:स्कूलों के मेन गेट पर कोटपा कानून की जानकारियां, कानून, निषेध और सजा-जुर्माना से संबंधित बोर्ड लगाए जाने थे जो कई स्कूलों में अब तक नहीं लगाए गए हैं. उल्टा स्कूलों के सामने पान, गुटखा, तंबाकू और सिगरेट की दुकानें खोली जा रही हैं. तंबाकू नियंत्रण अधिनियम 2003 कोटपा पूरे राज्य में लागू है. कानून तोड़ने वाले लोगों के खिलाफ एक-दो बार अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन उसके बाद जैसे ही अभियान बंद होता है कानून का डर भी लोगों के मन से निकल जाता है.

क्या है कानून

इस अधिनियम के अनुसार, सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध है. जबकि शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ मंदिर, मस्जिद आदि की 100 मीटर परिधि में तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर भी प्रतिबंध है. इस अधिनियम को लागू कराने के लिए थानेदारों तक को जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन विडंबना यह है कि चौक-चौराहा हो या सार्वजनिक स्थल कानून का धुआं सरेआम उड़ाया जा रहा है.

क्या कहते हैं आंकड़े

झारखंड में आधे वयस्क 50.10 परसेंट किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं. इस मामले में झारखंड की स्थिति काफी चिंताजनक इसलिए है कि यह राष्ट्रीय औसत 28.6 परसेंट से काफी अधिक है. राज्य में तंबाकू का सेवन करनेवालों में 47.9 परसेंट लोग चबानेवाले तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं. झारखंड में किसी न किसी रूप में तंबाकू का इस्तेमाल करनेवालों में 63.6 परसेंट पुरुष तथा 35.9 परसेंट महिलाएं हैं.

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स्पॉट: पुरुलिया रोड

टाइम: दोपहर 1 बजे

रिपोर्टर और कैमरामैन जैसे ही पुरुलिया रोड के चौराहे पर पहुंचे यूनिफार्म में स्टूडेंट्स को पान दुकान पर खड़ा देखा. आईनेक्स्ट टीम भी वहां रुककर नजारा देखने लगी. कुछ स्टूडेंट्स ने पुडि़या फाड़ा और बिना दाएं-बाएं देखे सीधे उसे मुंह में डाल लिया. कुछ ने सिगरेट जलाई और गुमटी के पीछे साइड में बने चबूतरे पर छिपकर बैठ गए. बाहर सैकड़ों की संख्या में लोग, पुलिस वाले और स्कूलों के टीचर्स गुजरते रहे और स्टूडेंट्स मनमानी करते रहे.

स्पॉट: कांके रोड

टाइम: दोपहर 2 बजे

चर्चित स्कूल के 100 गज दायरे के भीतर कई पान दुकानें मौजूद हैं. स्कूल की छुट्टी के साथ हाई स्कूल के बच्चे धड़ल्ले से लगभग भागते हुए वहां पहुंचे और तंबाकू सेवन शुरू कर दिया. हमारे कैमरामैन ने जब फोटो क्लिक करने का प्रयास किया तो लड़ाई-झगड़े की नौबत आने लगी. देखते ही देखते वहां कई स्टूडेंट्स की भीड़ लग गई. गार्जियन भी खड़े थे लेकिन स्टूडेंट्स की गलतियों पर कोई बीच-बचाव तक करने नहीं आया.

स्पॉट: डिबडीह पुल

टाइम: दोपहर 3 बजे

चर्चित स्कूलों के स्टूडेंट्स डिबडीह ओवरब्रिज के नीचे बने एक शॉप पर रोजाना जमा होते हैं. बकायदा स्कूल यूनिफार्म में सिगरेट, कोल्डड्रिंक, रजनीगंधा आदि का सेवन करते नजर आते हैं. यह शॉप स्कूल की बाउंड्री से 50 गज के भीतर ही मौजूद है.

वर्जन

स्कूलों के सामने प्रशासन को सख्ती से कोटपा कानून का पालन करना चाहिए. देश का भविष्य इन स्कूलों में तैयार होता है ऐसे में नशे की लत लग जाने से परिजनों को तो पता भी नहीं चलेगा और बच्चे स्कूल से ही नशापान कर घर लौंटेंगे. स्कूल प्रबंधन को भी इसपर सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए.

डॉ. प्रणव कुमार बब्बू

स्कूलों के सामने मैंने कई बार गाड़ी रोककर बच्चों को समझाने की कोशिश की है. उन्हें नशे की लत लग रही है. हैरत होती है कि आम लोगों को स्कूल के समक्ष पान गुटखा की दुकान देखकर तकलीफ होती है और हमलोग इसका विरोध करते हैं, लेकिन प्रशासन कैसे मौन रह जाता है.

अमित श्रीवास्तव