Back to home with ‘dengue‘

बीमारी लेकर आ रहे हैं ‘ अपने‘
Allahabad: जी हां, ये सच है। पब्लिक के लिए डेंगू का अदर स्टेट कनेक्शन डेंजरस साबित हो सकता है। अब तक मिले कुल केसेज में तैंतीस फीसदी ऐसे पेशेंट हैं जो दूसरे स्टेट में रहकर जॉब कर रहे थे और बीमार होने पर अपने घर वापस आ गए। बाद में जांच में पता चला कि इनको डेंगू है। अब उनका इलाज हॉस्पिटल में चल रहा है। सोमवार को इलाहाबाद में एक और मामला ट्रेस हुआ। अलोपीबाग के रहने वाले इस व्यक्ति को डेंगू से पीडि़त पाया गया है। जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि होने के बाद इलाज शुरू कर दिया गया है। डॉक्टरों की राय में ऐसे मामले भी पब्लिक के लिए खतरनाक हो सकते है इसलिए लोगों को होशियारी बरतनी होगी. 

बाहर से आने वाले नौ patient
झूंसी के लिए रहने वाले नवीन मिश्रा दिल्ली में जॉब करते हैं। पिछले दिनों वह शहर लौटे तो बुखार के साथ बदन में दर्द होने और बदन टूटने की शिकायत हुई। घर वाले इसे सीजनल इफेक्ट मानकर ट्रीटमेंट कराते रहे। तीन दिन से अधिक बीत जाने पर डॉक्टर्स ने डेंगू टेस्ट के लिए भेजा तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। वैसे अभी तक  एमएलएन मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबॉयलोजी लैब में कुल 25 पेशेंट की जांच में डेंगू पॉजिटिव रिपोर्ट आई है। इनमें से आठ पेशेंट ऐसे हैं जो गुजरात, मुंबई, दिल्ली सहित दूसरे शहरों से आए हैं। ये रहने वाले इलाहाबाद के ही हैं। पब्लिक को इनसे भी खतरा हो सकता है। आमतौर पर डेंगू एक संक्रामक रोग है और इसके वायरस मच्छर के जरिए आसानी से एक से दूसरे में फैल जाते हैं।  

तो तुरंत जांच कराएं
अगर आपका कोई दोस्त या रिश्तेदार दूर-दराज से बीमारी की हालत में आता है तो उसे अवॉयड न करें, फटाफट उसकी डेंगू की जांच कराइए। डिस्ट्रिक्ट मलेरिया ऑफिसर केपी द्विवेदी के मुताबिक जरा सी लापरवाही जानलेवा हो सकती है। साथ ही दूसरों को भी डेंगू का शिकार बना सकती है। तेज बुखार इस डिजीज का मेन लक्षण है। इसको नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है.

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बेहतर इलाज है मच्छरदानी
यूं तो मार्केट में मच्छरों से बचने के लिए मास्कीटो रिफिल, क्वॉयल, क्रीम सहित कई प्रोडक्ट मौजूद हैं। बावजूद इसके डॉक्टर्स की मानें तो डेंगू के डंक से बचने का बेस्ट ऑप्शन मच्छरदानी है। इसीलिए हॉस्पिटल्स में डेंगू के अलग से वार्ड बनाया गया हैं। जहां डेंगू पेशेंट को मच्छरदानी में रखा जाता है। अगर आपके घर पर कोई रिश्तेदार या सगा-संबंधी बाहर से आया है तो उसमें डेंगू के लक्षण हैं तो उसे ऐसे ही रखना होगा। वरना उसके जरिए दूसरों में भी यह जानलेवा रोग फैल सकता है.

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दोनों के लिए परेशानी
माइग्रेटेड डेंगू के केसेज में अक्सर पेशेंट के सीरियस होने के चांसेज होते हैं। इलाज में देरी होने की वजह से उनका प्लेटलेट्स काउंट तेजी से कम हो जाता है और कॉम्प्लिकेशंस बढ़ जाते हैं। इलाज के जरिए क्योर होने में काफी टाइम लग जाता है। वहीं बाहर से आए पेशेंट्स अपना पता-ठिकाना लोकल ही बताते हैं, ऐसे में पेश्ेांट्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होती है। ऑफिसर्स कहते हैं कि लोकल पेशेंट्स की संख्या इतनी ज्यादा नहीं है, बावजूद इसके रिकार्ड में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

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सुबह-शाम बचना जरूरी
मेडिकल साइंस कहती है कि डेंगू एडीज एजिप्टी मच्छर के जरिए फैलता है। यह साफ पानी में अंडे देता है। धारीदार होने की वजह से इसे टाइगर मास्कीटो भी कहते हैं। यह सनराइज से दो घंटे बाद और सनसेट से दो घंटे पहले काट ले तो डेंगू होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। एक बार एडीज किसी को काट ले तो खुद 12 दिनों तक अस्वस्थ हो जाता है। दोबारा एक्टिव होने के बाद वह फिर से डेंगू फैलाने लगता है। यही रीजन है कि पेशेंट जिस प्लेस का पता नोट करवाता है वहां दस दिनों के भीतर फागिंग और एंटी लार्वा स्प्रे कराना जरूरी होता है.

डेंगू के लक्षण
-तेज बुखार
-शरीर पर लाल चकत्ते.
-सिर, हाथ-पैर और बदन में तेज दर्द.
-भूख न लगना.
-उल्टी-दस्त व ब्लीडिंग.


वर्जन

जितना खतरा घर के आसपास जलभराव से पैदा होने वाले मच्छरों से है, उतना ही खतरा माइग्रेटेड डेंगू के पेशेंट्स से भी होता है। कोई दूसरे स्टेट से आता है तो लक्षणों के आधार उसकी जांच करवाई जानी चाहिए, इसके अलावा सावधानी बरतना भी बेहद जरूरी है.
डॉ। ओपी त्रिपाठी, फिजीशियन

अब तक कुल 24 केसेज में डेंगू की पॉजिटिव रिपोर्ट आई है। आठ मामले माग्रेटेड हैं। पब्लिक को चाहिए कि लक्षण पता चलते ही पेशेंट की जांच कराएं, ताकि संक्रमण के जरिए यह बीमारी दूसरों तक न पहुंच जाए.
डॉ। पदमाकर सिंह, 
सीएमओ

 

बाहर से आने वाले नौ patient

झूंसी के लिए रहने वाले नवीन मिश्रा दिल्ली में जॉब करते हैं। पिछले दिनों वह शहर लौटे तो बुखार के साथ बदन में दर्द होने और बदन टूटने की शिकायत हुई। घर वाले इसे सीजनल इफेक्ट मानकर ट्रीटमेंट कराते रहे। तीन दिन से अधिक बीत जाने पर डॉक्टर्स ने डेंगू टेस्ट के लिए भेजा तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। वैसे अभी तक  एमएलएन मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबॉयलोजी लैब में कुल 25 पेशेंट की जांच में डेंगू पॉजिटिव रिपोर्ट आई है। इनमें से आठ पेशेंट ऐसे हैं जो गुजरात, मुंबई, दिल्ली सहित दूसरे शहरों से आए हैं। ये रहने वाले इलाहाबाद के ही हैं। पब्लिक को इनसे भी खतरा हो सकता है। आमतौर पर डेंगू एक संक्रामक रोग है और इसके वायरस मच्छर के जरिए आसानी से एक से दूसरे में फैल जाते हैं।  

तो तुरंत जांच कराएं

अगर आपका कोई दोस्त या रिश्तेदार दूर-दराज से बीमारी की हालत में आता है तो उसे अवॉयड न करें, फटाफट उसकी डेंगू की जांच कराइए। डिस्ट्रिक्ट मलेरिया ऑफिसर केपी द्विवेदी के मुताबिक जरा सी लापरवाही जानलेवा हो सकती है। साथ ही दूसरों को भी डेंगू का शिकार बना सकती है। तेज बुखार इस डिजीज का मेन लक्षण है। इसको नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।

बेहतर इलाज है मच्छरदानी

यूं तो मार्केट में मच्छरों से बचने के लिए मास्कीटो रिफिल, क्वॉयल, क्रीम सहित कई प्रोडक्ट मौजूद हैं। बावजूद इसके डॉक्टर्स की मानें तो डेंगू के डंक से बचने का बेस्ट ऑप्शन मच्छरदानी है। इसीलिए हॉस्पिटल्स में डेंगू के अलग से वार्ड बनाया गया हैं। जहां डेंगू पेशेंट को मच्छरदानी में रखा जाता है। अगर आपके घर पर कोई रिश्तेदार या सगा-संबंधी बाहर से आया है तो उसमें डेंगू के लक्षण हैं तो उसे ऐसे ही रखना होगा। वरना उसके जरिए दूसरों में भी यह जानलेवा रोग फैल सकता है।

दोनों के लिए परेशानी

माइग्रेटेड डेंगू के केसेज में अक्सर पेशेंट के सीरियस होने के चांसेज होते हैं। इलाज में देरी होने की वजह से उनका प्लेटलेट्स काउंट तेजी से कम हो जाता है और कॉम्प्लिकेशंस बढ़ जाते हैं। इलाज के जरिए क्योर होने में काफी टाइम लग जाता है। वहीं बाहर से आए पेशेंट्स अपना पता-ठिकाना लोकल ही बताते हैं, ऐसे में पेश्ेांट्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होती है। ऑफिसर्स कहते हैं कि लोकल पेशेंट्स की संख्या इतनी ज्यादा नहीं है, बावजूद इसके रिकार्ड में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

सुबह-शाम बचना जरूरी

मेडिकल साइंस कहती है कि डेंगू एडीज एजिप्टी मच्छर के जरिए फैलता है। यह साफ पानी में अंडे देता है। धारीदार होने की वजह से इसे टाइगर मास्कीटो भी कहते हैं। यह सनराइज से दो घंटे बाद और सनसेट से दो घंटे पहले काट ले तो डेंगू होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। एक बार एडीज किसी को काट ले तो खुद 12 दिनों तक अस्वस्थ हो जाता है। दोबारा एक्टिव होने के बाद वह फिर से डेंगू फैलाने लगता है। यही रीजन है कि पेशेंट जिस प्लेस का पता नोट करवाता है वहां दस दिनों के भीतर फागिंग और एंटी लार्वा स्प्रे कराना जरूरी होता है।

डेंगू के लक्षण

-तेज बुखार

-शरीर पर लाल चकत्ते।

-सिर, हाथ-पैर और बदन में तेज दर्द।

-भूख न लगना।

-उल्टी-दस्त व ब्लीडिंग।

 

जितना खतरा घर के आसपास जलभराव से पैदा होने वाले मच्छरों से है, उतना ही खतरा माइग्रेटेड डेंगू के पेशेंट्स से भी होता है। कोई दूसरे स्टेट से आता है तो लक्षणों के आधार उसकी जांच करवाई जानी चाहिए, इसके अलावा सावधानी बरतना भी बेहद जरूरी है.

डॉ। ओपी त्रिपाठी, फिजीशियन

 

अब तक कुल 24 केसेज में डेंगू की पॉजिटिव रिपोर्ट आई है। आठ मामले माग्रेटेड हैं। पब्लिक को चाहिए कि लक्षण पता चलते ही पेशेंट की जांच कराएं, ताकि संक्रमण के जरिए यह बीमारी दूसरों तक न पहुंच जाए।

डॉ। पदमाकर सिंह, 

सीएमओ