Lucknow: मंच पर कभी किसी गायक के साथ तो कभी किसी वाद्य कलाकार के साथ संगत के तौर पर नजर आने वाली सारंगी अब मंच से ही नहीं संगीत में रुचि रखने वाले लोगों के मन से भी खोती जा रही है। भातखण्डे म्यूजिक डीम्ड यूनीवर्सिटी में कथक, भरतनाट्यम, गायन, तबला, वायलन, सितार सभी विषय में जहां दर्जनों स्टूडेंट्स हैं वहीं सारंगी और पखावज में गिनती के स्टूडेंट्स बचे हैं। जो भी आता है वो सारे सब्जेक्ट के बारे में पूछता है, लेकिन सारंगी और पखावज में लोगों का इंट्रेस्ट अब खत्म सा होता जा रहा है।
कम होते गये स्टूडेंट
कभी सारंगी के क्लासेस में जहां सीखने वाले स्टूडेंट्स की कोई कमी नहीं हुआ करती थी, पिछले दस सालों में संख्या लगातार घटती जा रही है। इन दिनों क्लास में दो से तीन ही स्टूडेंट बचे हैं उनमें भी कभी कोई आता है तो कभी नहीं। क्लास में एक स्टूडेंट को सारंगी के सुरों से रुबरु कराते गुरु विनोद मिश्र कहते हैं कि पहले के मुकाबले अब सारंगी में लोगों की दिलचस्पी काफी कम हो चुकी है। जबसे मैंने इस विषय को पढ़ाना शुरू किया तब से स्टूडेंट्स कुछ बढ़े हैं।
बहुत मेहनत है इसे बजाने में
88 में पखावज वाद्य में राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके, भातखण्डे में पखावज के टीचर श्री राम पाठक क्लास में अकेले बैठ कर रियाज कर रहे थे। राम पाठक ने बताया कि पखावज को बजाने में मेहनत बहुत लगती है। अब इस क्लास में चार स्टूडेंट्स ही बचे हैं जिसमें एक जो विदेशी है उसे छोड़ कर कोई रेग्युलर नहीं है। अब इस वाद्य यंत्र को लेकर कोई सीरियस नहीं नजर आता। स्टूडेंट तबला सीखने आते हैं, दूसरे सब्जेक्ट में रुचि लेते हैं मगर पखावज को सीखने में अब लोगों का इंट्रेस्ट कम होता जा रहा है।
क्योंकि नहीं है फ्यूचर?
भातखण्डे के कुछ वरिष्ठ कलाकारों से जब इस बारे में बात हुई तो उन्होंने यही कहा कि क्योंकि सारंगी और पखावज जैसे वाद्य यंत्रों को सीखने के बाद स्टूडेंट्स को कोई फ्यूचर नजर नहीं आता। और यह सच भी है। न स्कूल न कॉलेज कहीं भी क्लासिकल म्यूजिक को लेकर कोई सोचता है। कोई ऐसा संस्थान नहीं है जहां इन्हें नौकरी की आशा हो। डांस, वोकल या फिर तबला वगैरह में तो जॉब की उम्मीदें रहती हैं। जबकि विदेशों में ऐसा नहीं है वहां हर कला की कद्र यहां से ज्यादा ही होती है। क्योंकि यह संगीत महाविद्यालय है और हम संगीत को प्रमोट करने के लिए ही प्रयासरत हैं तो हमारी कोशिश यही है कि इन खो रहे वाद्य यंत्रों में यूथ का इन्वाल्वमेंट हो।

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