-पुलिस लाइन में सलामी के दौरान सरकार और पुलिस अधिकारियों पर उतरा भाई और दोस्त का गुस्सा

-एसओ पर बिना प्लानिंग टीम बनाकर भेजने की लापरवाही का आरोप, आईजी ने मजिस्ट्रेट से जांच कराने की कही बात

BAREILLY: बदायूं के बिनावर थाना के गांव घनबेहटी में मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए दारोगा सर्वेश यादव के परिजनों ने पुलिस अधिकारियों से पूछा कब तक इस तरह से पुलिसकर्मी शहीद होते रहेंगे। सरकार और शासन को इस बारे में सोचना चाहिए। पुलिस लाइन में परिजनों की शव की दुर्गति की बात को लेकर पुलिस अधिकारियों से नोकझोंक भी हो गई। परिजनों ने बिना प्लानिंग के सादी वर्दी में दबिश के लिए भेज देने की भी लापरवाही का आरोप लगाते हुए मजिस्ट्रेट से जांच कराने की मांग की। आईजी ने भी माना कि कहीं न कहीं चूक हुई है। मजिस्ट्रेट जांच कराई जाएगी। सलामी के वक्त आईजी विजय सिंह मीणा, डीआईजी आशुतोष कुमार, एसएसपी आरके भारद्वाज, एसएसपी बदायूं सुनील सक्सेना व अन्य अधिकारी माैजूद रहे।

पुलिसकर्मी के परिवार के बारे में कोई नहीं सोचता

अधिकारियों से झड़प के दौरान परिजनों ने कहा कि आम आदमी मरता है तो सरकार तुरंत 50 लाख का मदद का ऐलान कर देती है लेकिन पुलिसकर्मियों के शहीद होने पर कोई नहीं सोचता है। भाई की मौत पर मुआवजे की कोई घोषणा तक नहीं हुई है। जब कोई पुलिसकर्मी शहीद होता है तो उसका पूरा परिवार वीरान हो जाता है। कन्नौज में तैनात सर्वेश के दोस्त एसआई सत्यदेव ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मी 20-20 घंटे तक लगातार काम करता है। उसे रोटी तक नहीं मिलती है लेकिन फिर भी उसके बारे में कोई नहीं सोचता है। यही नहीं उन्होंने आरोप लगाया कि यदि टीम बनाकर बदमाशों को पकड़ने के लिए भेजा गया था तो फिर बाइक पर ही सिर्फ एक सिपाही के साथ सादी वर्दी में दबिश देने क्यों भेजा गया। यदि टीम भेजी गई थी तो फोर्स के साथ भेजी जाती। इसमें साफ-साफ एसओ ललित मोहन की लापरवाही है।

पुलिस गाड़ी में शव भेजने पर नाराजगी

यही नहीं भाई उमेश यादव ने आरोप लगाया कि सर्वेश यादव की लाश की भी दुर्गति की गई है। रात में ही पोस्टमार्टम कराया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ इसके अलावा शव को पुलिस गाड़ी से एटा भेजा जाने पर भी परिजन नाराज हो गए। जिसके बाद अधिकारियों ने किसी तरह परिजनों को शांत कर एंबुलेंस मंगाकर शव को एटा स्थित घर के लिए भिजवाया गया। आईजी ने परिजनों को समझाया कि रात में पोस्टमार्टम कराने पर कई तरह की आपत्ति लगती हैं इसलिए दिन में पोस्टमार्टम कराया गया।

पढ़ाई के चलते गाजियाबाद रहता है परिवार

सर्वेश यादव, एटा के अहरमई नरौलीकलां के रहने वाले थे। उनके परिवार में पत्‍‌नी सुनीता देवी, बेटी दीक्षा, दो बेटे कृष्णा और निशंक हैं। उनकी पत्‍‌नी और बच्चे पढ़ाई के चलते गाजियाबाद में रहते हैं। उनके बड़े भाई वीरपाल पीएसी में थे जिनकी बीमारी के चलते मौत हो गई। एक भाई राजेश टीचर थे जो भी बीमारी के चलते नहीं रहे। अब दो भाई बचे हैं जिसमें अवधेश कुमार कांस्टेबल हैं और उमेश आईटीबीपी दिल्ली में तैनात हैं। सभी परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो रखा है।

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आसानी से हाथ नहीं आता कल्लू

पुलिस गिरफ्त में आया बदमाश कल्लू बहुत शातिर है। इस बदमाश के चर्चे बदायूं से लेकर बरेली पुलिस में भी है। बरेली में तैनात कई पुलिसकर्मियों ने बताया कि कल्लू इतना शातिर है कि उसे पकड़ना पुलिस के लिए बड़ा मुश्किल था। पुलिस उसे बहुत कम ही पकड़ पाती है। क्योंकि वह पुलिस पर गोली चलाने में तनिक भी गुरेज नहीं करता है। उस पर बदायूं में कई मुकदमे दर्ज हैं। वह करीब डेढ़ साल बाद जेल से छूटकर आया था और वारदातों को अंजाम दे रहा था। वेडनसडे रात यदि उसके पैर में गोली न लगती तो शायद वह पुलिस के चंगुल से भाग जाता। उसके साथ के दो बदमाश बदायूं निवासी नन्हें यादव और फरीदपुर निवासी ऋषिपाल भी काफी शातिर हैं।

दारोगा की पिस्टल से मारी सिपाही को गोली

एसओ ललित मोहन की जीप में मौजूद सिपाही प्रमोद को दारोगा की ग्लॉक पिस्टल से गोली मारने की बात सामने आई है। यह पिस्टल बदमाशों ने दारोगा को गोली मारने के बाद छीन ली थी जो अभी तक पुलिस को नहीं मिल सकी है। क्योंकि प्रमोद को भी जो गोली लगी है वह भी नाइन एमएम की बताई जा रही है। वहीं दो बदमाशों को भी गोली लगने की बात सामने आई है लेकिन वे फरार चल रहे हैं। रात के बाद सुबह भी उनके ठिकानों पर दबिश दी गई लेकिन उनका कोई सुराग नहीं लग सका।