नेपाल, वाराणसी और कुशीनगर जाते हैं टूरिस्ट
गोरखपुर बौद्ध टूरिर्ट्स का एक बड़ा सेंटर है। नेपाल, कुशीनगर और वाराणसी जाने के लिए लोग यही से जाते हैं। ऐसे शहर की सड़कों की हालत देखकर टूरिस्ट भी चौंक जाते हैं। दो महीने पहले सिटी में आई सीमा परिहार ने यहां की सड़कों को चंबल के बीहड़ से भी बेकार बताया था।

पांच किमी में 10 हजार से अधिक गड्ढे
बदहाली की कहानी बताने को यह काफी है कि नौसढ़ से होकर पैडलेगंज तक रास्ते की हालत किस कदर खराब है। सर्किट हाउस जैसे वीआईपी मूवमेंट को जोड़ने वाली यह सड़क गड्ढों से भरी है। नौसढ़ से लेकर पैडलेगंज तक 10 हजार से अधिक गड्ढे मिल जाएंगे। तकरीबन यही हाल अन्य मेन सड़कों का है।

रोड कहां से कह तक                                    गड्ढों की तादात लगभग
जगदीशपुर, माड़ापार से एयरफोर्स स्टेशन तक        20 हजार गड्ढे
सोनौली हाइवे पर गोरखपुर से मानीराम तक        40 हजार गड्ढे  
बरगदवां से जेल बाईपास से कौआबाग तक        35 हजार गड्ढे
गोलघर से टीपी नगर चौराहे तक करीब        07 हजार गड्ढे
नौसढ़ से फलमंडी होते हुए पैडलेगंज तक        10 हजार गड्ढे

नहीं लगता थर्ड गियर
व्हीकल लेकर चलने वालों को इन सड़कों पर काफी परेशानी उठानी पड़ती है। लग्जरी गाड़ियों के गड्ढों में गिरने पर जर्क कम लगता है लेकिन सवारी गाड़ियों में सवारियों की दुर्गति हो जाती है। पांच मिनट का रास्ता आधे घंटे तक हो जाता है। ज्यादातर गाड़ियों में थर्ड गियर की नौबत ही नहीं?आती है। दूसरे और तीसरे गियर में व्हीकिल लेकर चलना पड़ता है। महंगे पेट्रोल की इस दौर में यह पब्लिक की जेब पर भारी पड़ जाती है।

व्हीकिल की ऐसी की तैसी
रोड पर गड्ढों की वजह से व्हीकिल की लाइफ कम होती है। सर्विसिंग टाइम करीब आने के पहले ही उसे गैरेज भेजना पड़ता है। खराब सड़कों का ज्यादा नुकसान छोटी गाड़ियों को भुगतना पड़ता है। कार मैकेनिक हरीराम सिंह का कहना है कि वे 10 साल से वे कार का गैराज चला रहे हैं। व्हीकल में आने वाली प्राब्लम के लिए खराब सड़कें ज्यादा जिम्मेदार होती हैं। इससे चैंबर टूटने का खतरा होता है। टायर का घिसना, जंपिंग राड टेढ़ा होना, सस्पेंशन खराब होना, स्टेयरिंग में प्राब्लम तो आम है। इसके आलावा बार- बार बे्रक और क्लच लेने से क्लच प्लेट खराब होने जैसी प्रॉब्लम आती है।

जवानी में खिसक रही डिस्क
आर्थोपेडिक सर्जन डा। इमरान का कहना है कि सड़क  के गड्ढे यूथ के लिए ज्यादा प्राब्लम क्रिएट कर रहे हैं। यंग ऐज में डिस्क खिसकने और सर्वाकयल प्रॉब्लम खड़ी हो जा रही है। चोट और फैक्चर की प्रॉब्लम आम बात हो गई है। कमर या गरदन में मोच, नसों की बीमारी को बढ़ती है। सिटी में होने वाले ज्यादातर एक्सीटेंड के लिए सड़क के गड्ढे जिम्मेदार हैं।

तो इसलिए जल्दी खराब हो जाती हैं सड़कें
सड़कों को बनाने, मरम्मत में भारी लापरवाही के कारण ज्यादातर सड़कें टाइम से पहले खराब हो जाती है। पीडब्ल्यूडी से जुड़े लोग कहते है कि ठेकेदार भी इसके लिए जिम्मेदार है। ज्यादा कमीशन और अफसरों को खुश करने की कोशिश में बजट का 20- 40 फीसदी खर्च हो जाता है। निर्माण होने पर गुणवत्ता की जांच टाइम से नहीं होती। कोई शिकायत न करे तो टीएसी जांच की नौबत नहीं आती। हैवी व्हीकिल के चलने, डामर की कमी, गिट्टियों की क्वालिटी कम होनी, रोलर चलाने में कंजूसी, तारकोल में जले मोबिल का इस्तेमाल इत्यादि ऐसी वजहें जिनसे सड़के खराब हो जाती है। 2012 में बना जेल बाईपास रोड जेल के पीछे बेहद की खराब दशा में आ चुका है।

नाम  - रवि कुमार एनजी  
पद-   डीएम    
जिम्मेदारी- जिले के सबसे बड़े अफसर, सभी विभागों और कामों के लिए जिम्मेदार, सभी प्रशासनिक और विकास कार्यों की निगरानी, कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ पब्लिक की प्रॉब्लम दूर करने की जिम्मेदारी, मातहतों को गाइड लाइन जारी करना इत्यादि।
इनका कहना है- नो डाउट, सड़कों की हालत बेहद खराब है। सड़कों की हालत से मैं खुद परेशान हूं। मैंने इनको ठीक करने के लिए भी निर्देश जारी किए थे। चीफ सेक्रेटरी से मीटिंग में मामले को प्राथमिकता के साथ सड़कों का मामला उठाऊंगा।

नाम- विपिन राय
पद-अधिशासी अभियंता, नगर क्षेत्र, पीडब्ल्यूडी
जिम्मेदारी-पीडब्ल्यूडी के सभी कामों को देखना, सड़कों की मरम्मत और सड़कों के निर्माण सहित विभागीय कामों को देखना इनकी जिम्मेदारी है। सड़कों की बदहाली के लिए ये जिम्मेदार है।
इनका कहना है- सिटी में पीडब्ल्यूडी की जिम्मेदारी है खराब सड़क को मरम्मत करवाना और निर्माण करवाना। खराब रोड के मरम्मत के लिए एस्टीमेट बनाकर शासन को भेज दिया गया है। शासन की तरफ से राशि अभी आवंटित नहीं हुई है। बजट मिलते ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा। कुछ सड़कें एनएचएआई से संबंधित हैं।

 

report by : arun.kumar@inext.co.in