DEHRADUN : करीब एक महीने से ज्यादा समय से सरकार काम का विरोध कर धरना दे रही आशा वर्कर्स ने सोमवार को भीख मांगकर विरोध जताया। आशा वर्कर्स का कहना है कि सरकार उनके साथ जिस तरह का व्यवहार कर रही है, उसके चलते उनके सामने भीख मांगने की नौबत आ गई है।

ग्राम प्रधानों से मांगी भीख

धरनास्थल पर आशा वर्कर्स सबसे पहले उनके पास ही सभा कर रहे ग्राम प्रधानों के पास भीख मांगने पहुंची। प्रधानों ने उन्हें निराश नहीं किया। कुछ प्रधानों ने उनके कटोरे से सिक्के और नोट डाले। इसके बाद वे ड्यूटी दे रहे पुलिस वालों के पास गई, हालांकि किसी पुलिसकर्मी ने उन्हें पैसे नहीं दिये। इसके बाद सड़क पर आकर उन्होंने आने-जाने वालों से भी सांकेतिक रूप से भीख मांगी।

न्यूनतम मजदूरी की मांग

स्वास्थ्य सेवाओं और राष्ट्रीय कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आशा वर्कर्स को मुख्य रूप से गर्भवती महिलाओं को रिकॉर्ड रखने, उनका टीकाकरण और डिलीवरी के लिए अस्पताल पहुंचाने का काम लिया जाता है। इसके लिए आशा वर्कर्स को ग्रामीण क्षेत्रों में म्00 रुपये और शहरी क्षेत्रों में ब्00 रुपये का भुगतान किया जाता है। पिछले एक महीने से अधिक समय से आशा वर्कर्स न्यूनतम मजदूरी की मांग को लेकर धरना दे रही हैं।

सरकारी कामों का विरोध

आशा वर्कर्स इन दिनों सरकारी कामों का पूरी तरह से विरोध कर रही हैं। उन्होंने पिछले क्7 से ख्फ् सितम्बर तक चलाये गये पल्स पोलियो अभियान का भी बहिष्कार किया था। इससे इस अभियान को काफी प्रभाव पड़ा। इसी महीने चलाये जाने वाले मीजल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान पर भी आशा वर्कर्स की हड़ताल से बुरा असर पड़ने की संभावना है।