Allahabad: कुछ दिनों पहले सरकारी आदेश आया था कि सरकारी कार्यालयों में बिजली की बचत की जाए। अगर अधिकारी या कर्मचारी कुर्सी पर मौजूद नहीं हैं तो पंखे, कूलर, एसी और बल्ब जैसे बिजली के उपकरणों को बंद रखा जाए। आदेश का पालन कराने के लिए बकायदा इसे सरकारी कार्यालयों में चस्पा भी कर दिया गया लेकिन इसे अमलीजामा पहनाया गया या नहीं ये जानने के लिए हमने वेडनसडे को विकास भवन का रुख किया। एक दर्जन से अधिक सरकारी विभागों वाली इस बिल्डिंग में लंच ऑवर के दौरान जो कुछ भी हमने देखा उसे लापरवाही और बेपरवाही की जिंदा मिसाल कहा जा सकता है।

अभी-अभी तो लाइट आई है

विकास भवन में दोपहर 1.30 से 2.30 के बीच होने वाले लंच ऑवर के दौरान अधिकारी और कर्मचारी अपने कमरे में मौजूद नहीं थे। स्थापना अनुभाग में केवल एक कर्मचारी मौजूद था और खाली कुर्सी-मेज होने पर भी पूरे कमरे के रॉड और पंखे चल रहे थे। कर्मचारी ने तुरंत लाइट आने का बहाना बनाकर बचने का प्रयास किया.

अधिकारी-कर्मचारी दोनों कर रहे बर्बादी

दूसरी मंजिल पर बना जिला अर्थ एवं संख्या अधिकारी कार्यालय के हालत और भी देखने लायक थी। यहां पर अधिकारी एसएन त्रिपाठी सहित उनके कर्मचारियों के नदारद रहने पर भी कार्यालय के चैंबर में पंखे, कूलर और रॉड ऑन थे। इन्हें बंद करने के लिए कोई भी वहां मौजूद नहीं था.

किसको हवा दे रहा था कूलर

इंजीनियर प्रमोद कुमार कहां थे ये तो पता नहीं था लेकिन उनके चैंबर का कूलर पूरे स्पीड में चल रहा था। हम यहां पर पूरे दस मिनट तक रुके रहे लेकिन कोई ये तक पूछने नहीं आया कि आप कौन हैं? ऑफिस के बाहर मौजूद प्यून से कहा गया तो भी उसने कूलर ऑफ नहीं किया। जबकि बगल में ही बिजली बचाएं का सरकारी आदेश भी चस्पा था।

साहब छुट्टी पर हैं फिर भी

नाजिर विकास अधिकारी केबी सिन्हा का चैंबर एकदम दुल्हन की तरह जगमगा रहा था। मौके पर प्यून भी मौजूद था। जब उससे कहा गया कि साहब कहा हैं तो उसने कहा, छुट्टी पर। बावजूद इसके चैंबर में दो तीन रॉड, दो पंखे और एक कूलर ऑन था। बिजली की बर्बादी का इससे बेहतर एग्जाम्पल कोई और नहीं हो सकता.

लाखों का था बकाया

विकास भवन पर बिजली विभाग का लाखों का बकाया हाल ही में जमा करवाया गया है। जानकारी के मुताबिक इस बिल्डिंग में बिजली की कुल खपत सौ किलोवाट से ज्यादा है और पर मंथ इस पर डेढ़ लाख रुपए खर्च होते हैं। ऑफिसर्स खुद परेशान हैं कि बिजली की खपत को कैसे कंट्रोल किया जाए लेकिन जिस तरह का रवैया वेडनसडे को हमने देखा, उससे तो यही लगता है कि बिल घटेगा नहीं बल्कि फ्यूचर में बढ़ सकता है.

आखिर ये कटौती होती किसलिए है?

लाइव कवरेज के दौरान कुछ कर्मचारियों का तर्क था कि कटौती की वजह से कम लाइट मिलती है इसलिए कोई पंखे और कूलर बंद नहीं करता। बता दें कि प्रदेश में भीषण विद्युत संकट के चलते महज शहर को महज 185 मिलियन यूनिट बिजली सप्लाई की जा रही है जबकि डिमांड 210 मिलियन यूनिट की है। 25 मिलियन यूनिट की कमी को बराबर करने के लिए बिजली विभाग को रोस्टिंग करनी पड़ती है। ऐसे में बिजली की इस तरह बर्बादी आदेश का माखौल नहीं तो क्या है।

बिजली की बर्बादी रोकने के लिए गवर्नमेंट की ओर से आदेश जारी हुए हैं। सभी विभागों को इसकी जानकारी लिखित में दे दी गई है। फिर कोई इसकी अवमानना करता है तो विभागाध्यक्ष से इसकी शिकायत की जाएगी, ताकि लापरवाह लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके।

मो। फिरोज, ईई, बिजली विभाग

Report by, Vineet Tiwari