GORKAHPUR: ईद-उल-अजहा की नमाज ईदगाहों सहित शहर की विभिन्न मस्जिदों में मुल्को मिल्लत सलामती की दुआ के साथ संपन्न की गई। बुधवार को कई मुस्लिम घरों सहित तीन दर्जन से अधिक चिन्हित स्थानों पर कुर्बानी की रस्म अदा की गई। बंदों ने रो-रो कर कुर्बानी, कुबूलियत, गुनाहों व माफी की दुआएं मांगी। ईद-उल-अजहा की नमाज के लिए लोगों ने सुबह से ही तैयारी की थी। हस्बे मामूल बच्चों व बड़ों ने गुस्ल (नहा) कर नए कपड़े पहने, खुशबू लगाई, टोपी सजाई और ईदगाह व मस्जिद की ओर चल पड़े। रंग बिरंगी, सफेद पोशाकों से हर जगह एक नूरानी समां नजर आ रहा था।

'अल्लाह की रजा में सब कुछ कुर्बान'

ईद-उल-अजहा की नमाज के वक्त तक ईदगाह व मस्जिदों के आसपास की जगहें नमाजियों से भर गईं। लोगों ने ईदगाह व मस्जिदों में इमामों की तकरीरें ध्यान लगा कर सुनीं। नार्मल स्थित ईदगाह हजरत मुबारक खां शहीद में इमाम व खतीब हजरत मौलाना फैजुल्लाह कादरी ने अपनी तकरीर में कहा कि एक हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम की कुर्बानी देकर दुनिया को दिखा दिया कि अल्लाह की रजा लिए सब कुछ कुर्बान करने का नाम इस्लाम है। गाजी मस्जिद गाजी रौजा में मुतीअतर हुसैन मन्नानी ने कहा कि कुर्बानी जानवर को जिब्ह करने में हमारी नियत होनी चाहिए कि अल्लाह हमसे राजी हो जाए। कुर्बानी का मतलब होता है कि जान व माल को अल्लाह की राह में खर्च करना। उन्होंने कुर्बानी गोश्त को पड़ोसियों, गरीबों, फकीरों में बांटने की अपील की। साफ-सफाई का खास ख्याल रखने की भी बात कही।

मांगी गई दुआ

मुकर्रर वक्त पर ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की गई, खुतबा हुआ। इसके बाद खुशूसी दुआ की गई। भाईचारगी, एकता की दुआएं मांगी गईं। केरल बाढ़ पीडितों के लिए भी दुआएं की गईं। छोटे से लेकर बड़ों ने एक दूसरे को बधाईयां दीं। हर ईदगाह, मस्जिदों व कुर्बानीगाहों के पास मेले जैसा माहौल नजर आया। नमाज के बाद लोगों का एक हुजूम उमड़ पड़ा। इसके बाद सभी तकबीरे तशरीक कहते हुए घर वापस हुए। यह नजारा दिनभर शहर की ईदगाहों व मस्जिदों पर आम रहा। इसके बाद घरों व गाजी रौजा, मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार, रहमतनगर, तुर्कमानपुर, अस्करगंज, रसूलपुर, बक्शीपुर आदि चिन्हित तीन दर्जनों से ज्यादा जगहों पर कुर्बानी रस्म शुरू हुई जो दिन ढलने तक चलती रही। इससे पहले जानवरों को सजाया गया। कुर्बानी के लिए जिब्ह करने वाला बूचड़ आया, कुर्बानी की दुआ पढ़ी गई। इसके बाद गोश्त को तीन हिस्सों में तकसीम किया गया। गरीबों, यतीमों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों में गोश्त बांटा गया। ज्यादातर लोग बूचड़ों की वजह से परेशान रहे, क्योंकि कुर्बानी के जानवर ज्यादा थे और जब्ह करने वाले कम।

महिलाएं भी रहीं आगे

ईद-उल-अजहा की खुशियों में चार-चांद लगाने में महिलाएं दिलो जान से लगी रहीं। रात में ईद-उल-अजहा के व्यंजनों का सामान तैयार किया। मेहंदी लगाई और अलसुबह उठकर फज्र की नमाज पढ़ी। बच्चों के साथ घर के अन्य लोगों को तैयार कराया। फिर लजीज सेवईयां, मटर, दही बड़ा, रसगुल्ला व सुबह का नाश्ता तैयार किया। कुर्बानी हो गई तो गोश्त की तकसीम बोटी बनवाने तक जुटी रहीं, और फिर दावतों का दौर शुरू हो गया। अल्लाह की बारगाह में दो रकात नमाज शुक्राना अदा किया व दुआ मांगी। फिर मेहमानों की मेहमान नवाजी की तैयारी में जुटीं। दिनभर घरों में मेहमानों का तांता लगा रहा। बड़ों ने बच्चों को ईदी से भी नवाजा। पूरा दिन खुशियों के साथ खुशी बांटते बीता, अगले दो दिनों तक यह सिलसिला जारी रहेगा।

मेले सरीखा रहा माहौल

रहमतनगर, खोखरटोला, गाजीरौजा, जाफरा बाजार, शाहमारूफ, रेती चैक, रसूलपुर, गोरखनाथ, पुराना गोरखपुर, चक्सा हुसैन, जाहिदाबाद, जमुनहिया, फतेहपुर, नसीराबाद, बड़े काजीपुर, खूनीपुर, इस्माइलपुर, अस्करगंज, नखास, छोटे काजीपुर, उर्दू बाजार, शेखपुर, बसंतपुर, बेनीगंज सहित अन्य जगहों पर मेले सरीखा माहौल नजर आया। विभिन्न जगहों पर सामूहिक कुर्बानी हुई। जिसे देखने के लिए छोटे से लेकर बड़े तक जुटे रहे।