फर्जी पासपोर्ट, फर्जी डिग्री और तमाम तरह के एलिगेशंस की मार झेल रहे आचार्य बालकृष्ण सीबीआई के समक्ष गुरुवार को पेश नहीं हुए. दिल्ली स्थित सीबीआई के उच्च पदस्थ सूत्रों ने संभावना जताई है कि आचार्य खुद को फंसता देख उत्तरप्रदेश के रास्ते नेपाल पहुंच चुके हैं. वे गनर समेत कई करीबियों को चकमा देते हुए सडक़ मार्ग से नेपाल में दाखिल हो गए.

68 किलोमीटर में कई लूप होल्स

उत्तरप्रदेश की नेपाल से लगती हुई सीमा करीब 68 किलोमीटर लंबी है. चुंकि पुराना ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि सबसे सेफ रास्ता होने के कारण बड़े अपराधी आराम से इन सीमाओं से नेपाल में प्रवेश कर जाते हैं. यहां एसएसबी, डिस्ट्रिक्स्ट पुलिस सहित तमाम इंटेलीजेंस एजेंसियां भी एक्टिव रहती हैं. फिर भी खुली सीमा होने के कारण यहां कई लूप होल्स हैं जो अपराधियों के लिए मददगार बनती हैं.  25 जुलाई को सीबीआई ने आचार्य के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था. लुकआउट नोटिस जारी करने के साथ ही उत्तरप्रदेश की तमाम सीमाओं से लेकर, एयरपोर्ट अथॉरिटी तक को आचार्य बालकृष्ण की फोटो के साथ तमाम डिटेल भेज दिए गए. सूत्रों का कहना है कि सीबीआई ने जबतक अपनी कार्रवाई की तब तक देर हो चुकी थी और बालकृष्ण उत्तरप्रदेश के अपने एक बेहद करीबी की सहायता से पहले यूपी की सीमा में दाखिल हुए और इसके बाद सनौली के रास्ते नेपाल में प्रवेश कर गए.

Gunner को छकाया था आचार्य ने

रविवार 24 जुलाई से ही आचार्य बालकृष्ण पर सीबीआई का फंदा कसता जा रहा था. देर रात तक यह स्पष्ट हो गया था कि सीबीआई देहरादून की टीम एसपी निलाभ किशोर के नेतृत्व में आचार्य बालकृष्ण से कड़ी पूछताछ कर सकती है. सीबीआई सूत्रों के अनुसार आचार्य बालकृष्ण से पूछताछ के लिए करीब 50 प्रश्नों का खाका तैयार कर लिया गया था. इसी बीच मंडे को आचार्य अपने गनर के साथ निकले. उन्होंने गनर को दूसरी गाड़ी में पतंजलि योगपीठ कहने की बात कही और खुद अपने एक करीबी के साथ दूसरी गाड़ी में निकल गए. जब काफी देर तक वे पतंजलि नहीं पहुंचे तो गनर ने अपने सीनियर पुलिस ऑफिसर्स को सूचित किया. उसी दिन देर शाम को कनखल थाने में आचार्य की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी गई.

नेपाल ही क्यों?

बालकृष्ण पर शिकंजा कसने के लिए सीबीआई ने उनका पासपोर्ट पिछले दिनों होल्ड कर लिया था. उन्हें स्पष्ट कह दिया गया था कि जबतक पासपोर्ट मामले की तहकीकात पूरी नहीं हो जाती तब तक आप कहीं नहीं जा सकते. पासपोर्ट होल्ड होने के कारण आचार्य के पास नेपाल के अलावा दूसरा विकल्प नहीं था. नेपाल के साथ प्रत्यार्पण संधि में भी तमाम तरह के पेंच हैं, जिसके कारण कुछ दिनों तक वे वहां सेफ अपना ठिकाना बना सकते हैं.

क्या हुआ गुरुवार को?

आचार्य के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करने के बाद 28 जुलाई को उन्हें देहरादून स्थित सीबीआई ऑफिस में पेश होने को कहा गया गया था. 11 बजे ऑफिस में आए फैक्स ने सीबीआई को सकते में डाल दिया. नैनीताल से   उनके वकील की ओर से किए गए फैक्स में कहा गया कि उनके पास जरूरी डॉक्यूमेंट अभी नहीं हैं, इसलिए  बीस दिन का समय और दिया जाए.

"आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी है. उन्हें हर हाल में हमारे समक्ष पेश होना होगा. फिलहाल इससे अधिक कुछ नहीं कह सकता."- निलाभ किशोर, एसपी, सीबीआई, देहरादून

बालकृष्ण को सीबीआई के समक्ष पेश होना था, लेकिन उन्होंने वकील के जरिए फैक्स भेजा है. उन्होंने दस्तावेजों के साथ पेश होने के लिए बीस दिन का समय मांगा है. सीबीआई ने उन्हें स्पष्ट कहा है कि वे हर हाल में शुक्रवार को देहरादून में हाजिर हों. जहां तक नेपाल भागने की बात है सीबीआई इन बिंदुओं पर भी जांच कर रही है.- धारिणी मिश्रा, स्पोक्सपर्सन, सीबीआई, नई दिल्ली

नहीं भागे हैं बालकृष्ण: रामदेव

योगगुरू रामदेव ने कहा कि बालकृष्ण पतंजलि योगपीठ में ही मौजूद हैं. उनके भागने की खबरें बिलकुल बेबुनियाद हैं. बालाकृष्ण को शुक्रवार को पेश होने के सीबीआई के आदेश पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस तरह से अचानक पेश होने का आदेश देना गलत है. वह शुक्रवार को पेश नहीं हो पाएंगे. इस सिलसिले में सीबीआई से और समय की मांग की जाएगी.

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