अब 1 मई को होगी सुनवाई

अब ट्रिब्यूनल में इस मामले की आगे की सुनवाई 1 मई को होगी. उसके बाद देखेंगे कि आगे का क्या फैसला होगा. दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल अर्जी पर ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष जस्टिस स्वतंतर कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने छूट को लेकर यह आदेश दिया है. बीते 7 अप्रैल के अपने आदेश पर रोक लगाते हुए पीठ ने इस बात को भी साफ-साफ शब्दों में स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने आदेश में महज दो हफ्ते के लिए बदलाव कर रहे हैं.

दिल्ली-एनसीआर के लिए मांगे सुझाव

बताते चलें कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को कम करने को लेकर ट्रिब्यूनल ने सरकार से सुझाव मांगे हैं. इसी के साथ वहां प्रदूषण फैलाने वाले हर तरह के वाहनों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन के अनुसार उम्र सीमा तय करने पर भी सरकार से सुझाव मांगा गया है. इसको लेकर पीठ ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, पेट्रोलियम, शहरी विकास मंत्रालय, भूतल व परिवहन मंत्रालय और दिल्ली सरकार के अतिरिक्त सचिव स्तर के अफसरों को इसको लेकर पूरे अध्ययन और ब्योरे के साथ हलफनामा देने का आदेश दिया गया है. ताकि दी गई डेड लाइन के बाद इस बात को तय किया जा सके कि डीजल वाहनों को लेकर आगे क्या करना है.

आम लोग मांग सकते हैं मुआवजा

ऐसे में आम लोगों के लिए भी कुछ राह खोली गईं हैं. अगर किसी को प्रदूषण से किसी भी तरह की कोई दिक्कत हो रही है तो वह उसको लेकर सरकार से मुआवजा मांग सकता है. इसको लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अधिनियम में बाकायदा इसका प्रावधान भी किया गया है. गौरतलब है कि यह अधिनियम 2010 में पर्यावरण के हितों की रक्षा करने के लिए बनाया गया था. इसको लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को इस बात का अधिकार दिया गया है कि पीड़ित के नुकसान पर उसे दिए जाने वाले मुआवजे की राशि को तय करे.

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