क्या कहते हैं शलभ के गुरु 

शलभ श्रीवास्तव सिटी के अल्लापुर एरिया में अपनी फैमिली के साथ रेंट पर रहता था। क्लास नाइंथ तक उसकी एजुकेशन इलाहाबाद में ही हुई। बचपन से ही वह क्रिकेट का क्रेजी था। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के क्रिकेट कोच देवेश मिश्रा के मार्गदर्शन में वह क्रिकेट की बारीकियों को सीखने में लगा था। 1996 में उसका लखनऊ स्पोट्र्स हॉस्टल में सेलेक्शन हो गया। इस दौरान उसके पिता का नोयडा ट्रांसफर हो गया, जिसके बाद पूरी फैमिली लखनऊ में शेटल हो गई। शलभ के गुरु देवेश मिश्रा ने बताया कि इलाहाबाद से जाने के बाद भी शलभ उनके टच में था। फैमिलियर रिलेशन बन जाने के कारण वह हमेशा ही टच में बना रहा। उसकी उपलब्धि पर सभी को नाज था. 

 

हिम्मत नहीं जुटा सके 

कोच देवेश मिश्रा ने आई नेक्स्ट रिपोर्टर को बताया कि जब उन्हें मीडिया में मैच फिक्सिंग में शलभ का नाम होने की जानकारी हुई तो उन्हें जबरदस्त झटका लगा। उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि शलभ भी ऐसा कर सकता है। क्योंकि शलभ बहुत ही ईमानदार लड़का था। उसके स्वभाव में कभी कूटनीति या छल-कपट की बात नहीं दिखी। बोर्ड के फैसले से वह आहत हैं। देवेश मिश्रा को आज भी विश्वास नहीं हो रहा है कि मैच फिक्सिंग में शलभ शामिल है। उन्हें लगता है कि शलभ बड़े खिलाडिय़ों के  चक्कर में बलि का बकरा बन गया है। बोर्ड ने फैसला लेने में जल्दीबाजी किया. 

 

सबक लें इस घटना से

सीनियर क्रिकेटर व फास्ट बॉलर विस्टन जैदी ने कहा कि बोर्ड ने जो फैसला सुनाया है वह दुखद है। यकीनन इस फैसले को सुनाने से पहले बोर्ड के पास कुछ ना कुछ शलभ के खिलाफ एविडेंस मिले होंगे। अगर ये सच है तो यंगस्टर्स प्लेयर्स को इस घटना से सीख लेनी चाहिए। कोई एक छोटी सी गलती उनके कॅरियर को वहीं कैसे खत्म कर देती है। फ्यूचर में इस बात को जरूर ध्यान रखें। हालांकि पर्सनली जैदी का मानना है कि शलभ को फंसाया गया है। उसके साथ वही हुआ है जैसे गेहूं के साथ घुन पिसता है। शलभ को भी क्रिकेट के पुजारी कहे जाने वाले बड़े प्लेयर्स को बचाने के लिए ही सजा दी गई है। जैदी के साथ शलभ ने क्रिकेट भी खेला है। उनका कहना है कि शलभ का नेचर बिल्कुल ऐसा नहीं था, कहीं ना कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है.