-डीजीपी ने किया खुलासा, पुलिस की तफ्तीश में नया मोड़

-प्रदेश भर में जारी की गयी गाइडलाइन, महिलाओं से सम्बंधित हर घटना में पहुंचना होगा एसएसपी को

-पुलिस प्रदेश के बाहर करायेगी आरोपियों और शक के दायरे में आये लोगों का नार्को टेस्ट

LUCKNOW: दुनिया भर में बदायूं की बदनामी के बाद पुलिस की जो तफ्तीश सामने आयी है वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। पुलिस की पूरी इंवेस्टीगेशन ऑनर किलिंग की ओर मुड़ गयी है। समय रहते पूरा एविडेंस न जुटा पाने और घटना को कई घंटे तक तूल देने के आरोप में शासन ने बदायूं के एसपी और वहां के तत्कालीन डीएम को सस्पेंड कर दिया है।

और मुड़ गयी तफ्तीश

जिस घटना के बाद चीफ सेक्रेटरी और प्रिंसिपल सेक्रेटरी को हटा दिया गया हो वहां अब पुलिस की नयी थ्योरी ने शासन स्तर पर की गयी कार्रवाई पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और फोरेंसिक रिपोर्ट में मौत की वजह दम घुटना बताया गया है। इसका भी खुलासा किया गया है कि उनमें से एक लड़की के साथ रेप हुआ ही नहीं था। शनिवार को आनन-फानन में बुलायी गयी प्रेस कांफ्रेंस में चीफ सेक्रेटरी आलोक रंजन और प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम दीपक सिंघल के साथ मौजूद डीजीपी आनंद लाल बनर्जी ने यह खुलासा किया। डीजीपी दो दिन पहले सीएम अखिलेश यादव के निर्देश पर बदायूं खुद गये थे और अधिकारियों के साथ स्थानीय लोगों से बात भी की थी। उन्होंने बताया कि घटना से सत्तर मीटर की दूरी पर शराब की बोतल के ढक्कन मिले हैं। इसके अलावा पुलिस ने लड़कियों के कुछ रिलेटिव्स के मोबाइल नंबर की सीडीआर और सर्विलांस पर लेकर तफ्तीश आगे बढ़ाई, जिसमें घटना के एक दिन से पहले कुछ लोगों से काफी देर तक बातचीत का रिकॉर्ड भी सामने आया है।

लाई डिटेक्टर और नार्को टेस्ट

चीफ सेक्रेटरी आलोक रंजन ने बताया कि घटना की जांच सीबीआई से कराने का आग्रह केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है। मगर अब तक की तफ्तीश में जो सामने आया है उसके आधार पर यूपी पुलिस आरोपी लोगों का और शक के दायरे में आये लोगों का लाई डिटेक्टर टेस्ट और नार्को टेस्ट यूपी के बाहर बेंगलुरू या किसी दूसरे लैब में कराने पर विचार कर रही है।