-बदायूं केस की मॉनिटरिंग करेगा हाइ कोर्ट, डीजीपी से मांगी विवेचना की प्रगति रिपोर्ट

-छह महीने में महिलाओं के साथ हुई घटनाओं का ब्यौरा भी मांगा

ALLAHABAD: बदायूं केस में अब तक पुलिस ने क्या कार्रवाई की है? इसका पूरा ब्यौरा पुलिस को हाइ कोर्ट को सौंपना होगा। कोर्ट ने इस मामले की सीधे मानिटरिंग करने का फैसला लिया है और डीजीपी से पिछले छह महीने में महिलाओं के साथ हुए अपराध का ब्यौरा भी तलब कर लिया है। साथ ही यह भी कि इस मामले की प्रगति क्या है। तीन सप्ताह में हलफनामा के साथ जवाब दाखिल करने का मौका दिया गया है। याचिका की अगली सुनवाई फ् जुलाई को होगी।

यह आदेश जस्टिस तरुण अग्रवाल और रामसूरत राम मौर्या की खंडपीठ ने स्त्री मुक्ति संगठन की सचिव निधि मिश्रा की तरफ से दाखिल पीआईएल पर दिया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रदेश में गिरती कानून व्यवस्था पर चिंता व्यक्त की है, और टिप्पणी की है कि विगत कुछ माह में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में इजाफा हुआ है। बदायूं की दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा है। कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था कायम रखने के बजाए प्रशासन ने पिछली सीट पकड़ ली है। प्रशासन आरोप-प्रत्यारोप के खेल में लिप्त दिखाई दे रहा है। यह नहीं पता लग रहा है कि मामले की विवेचना का आकार क्या होगा।

याचिका पर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने कोर्ट को बताया कि अपराध गंभीर है। राज्य सरकार ने सख्त कार्यवाही करते हुए एसपी को निलंबित कर दिया है। आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। राज्य सरकार ने प्रकरण की जांच सीबीआइ को सौंपने की त्वरित संस्तुति की है। साथ ही पीडि़त परिवार की सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। सरकार ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के कठोर कदम उठाए हैं। लखनऊ खंडपीठ पहले ही मामले को संज्ञान में ले चुकी है।