-कानपुर सेंट्रल स्टेशन और आसपास के एरिया में रहती हैं सैकड़ों बांग्लादेशी फैमिलीज

-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की पड़ताल में खुलासा, खुफिया रिपोर्ट में सुरक्षा का खतरा

असम में 40 लाख अवैध प्रवासियों के खुलासे के बाद पूरे देश में 'बांग्लादेशी' नागरिकों को लेकर हुए हंगामे के बीच दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने पड़ताल की तो एक बड़ा खुलासा हुआ। खुफिया एजेंसियों ने एक खुफिया रिपोर्ट जारी की है। जिसमें साफतौर पर 'कानपुर में एक बांग्लादेश' बसने की बात कही है। कानपुर सेंट्रल स्टेशन और उसके आसपास के एरिया में सैकड़ों बांग्लादेशी फैमिलीज अवैध रूप से रह रही हैं। ये स्टेशन की सुरक्षा के लिए 'ख्ातरा' है।

3 किलोमीटर के दायरे में

खुफिया एजेंसी ने जो रिपोर्ट राजकीय रेलवे पुलिस को दी है उसके मुताबिक कानपुर सेंट्रल स्टेशन के बाहर फुटपाथ पर अवैध तरीके से कब्जा करके रह रहे करीब 100 फैमिलीज के मेंबर्स बांग्लादेशी हैं। इतना ही नहीं सेंट्रल से करीब 2-3 किलोमीटर के दायरे में ऐसे ही अवैध कब्जे करके करीब 200 से ज्यादा फैमिलीज और रहे ही हैं। ऐसे में रिपोर्ट के मुताबिक सेंट्रल स्टेशन के आसपास के एरिया में एक 'मिनी बांग्लादेश' बस गया है।

किसी के पास नहीं डिटेल्स

करीब 300 बांग्लादेशी फैमिलीज के मेंबर्स की डिटेल्स किसी के पास नहीं है। जीआरपी इंस्पेक्टर राजाराम मोहन राय के मुताबिक सेंट्रल स्टेशन में हुई कई आपराधिक घटनाओं में संलिप्त लोगों के बारे में जब जानकारी जुटाई गई तो ये मालूम चला कि वो बांग्लादेश से यहां पहुंचे हैं। करीब एक दर्जन से ज्यादा बड़े अपराधी जिनको की जीआरपी ने जेल भेजा है वो सब बांग्लादेशी हैं। इनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक शहर में रहने वाली कुछ बांग्लादेशी 'घुमंतू प्रजाति' के भी हैं। वो कभी टेंट लगाकर किसी भी रोड के किनारे अपना डेरा डाल लेते हैं। जिनका लेखा जोखा स्थानीय पुलिस के पास भी नहीं है।

सिक्योरिटी के लिए खतरा

जीआरपी इंस्पेक्टर ने बताया कि सेंट्रल पर होने वाली कई अपराधिक घटनाओं में बांग्लादेशी महिलाएं भी संलिप्त मिली हैं। ट्रेनों में सुबह नीम की दतून, आर्टीफिशयल ज्वैलरी समेत अन्य चीजें बेचती हैं और पैसेंजर्स की पलक झपकते ही उनका सामान पार कर देती हैं। ऐसी कई महिलाओं को जेल भेजा जा चुका है। ये 'बांग्लादेशी' सेंट्रल और ट्रेनों की सुरक्षा के लिए भी ख्ातरा हैं।

वेरीफिकेशन के लिए लिखा लेटर

दो साल पहले पूर्व जीआरपी इंस्पेक्टर त्रिपुरारी पांडेय ने सेंट्रल के आसपास बसे 'बांग्लादेश' में रहने वाले लोगों के वेरीफिकेशन के लिए जिला पुलिस को लेटर लिखा था। लेकिन अब तक उस तरफ एक कदम भी नहीं बढ़ाया गया।

तीन बांग्लादेशी हो चुके हैं अरेस्ट

सेंट्रल पर 28 जुलाई को पुलिस ने घेराबंदी कर तीन बांग्लादेशी शातिर इकराम, लड्डू और सलीम को पकड़ा गया था, जबकि उनके तीन साथी पुलिस को गच्चा देकर फरार हो गए थे। हत्थे चढ़े तीनों बांग्लादेशी को दिल्ली पुलिस अपने साथ ले गई थी। दिल्ली पुलिस के मुताबिक तीनों बांग्लादेशी युवकों ने दिल्ली में एक कारोबारी के परिवार को गन प्वाइंट में रखकर लूट की थी। दिल्ली पुलिस के एक दरोगा ने उनको पकड़ने की कोशिश की तो तीनों ने उसको गोली मार दी थी। आरोपियों के तीन साथी अभी भी फरार है। उनकी तलाश में पुलिस दबिश दे रही है।

आंकड़े

300 से अधिक बांग्लादेशी परिवार रहते हैं सेंट्रल के आसपास

200 से अधिक फैमिलीज रहती हैं शहर के फुटपाथ पर

34 लोगों को किसी न किसी जुर्म में जीआरपी ने भेजा जेल

कोट

स्टेशन के बाहर फुटपाथ और आसपास के एरियाज में बांग्लादेशी नागरिकों का बसेरा है। जिन पर 24 घंटे जीआरपी और आरपीएफ की निगरानी रहती है। इनमें से कई 'बांग्लादेशी' चोरी व अन्य क्राइम में जेल भेजे जा चुके हैं।

राम मोहन राय, इंस्पेक्टर, जीआरपी