RANCHI: साइबर फ्राड के मामलों में अब पुलिस को सूचित करने से पहले सीधे बैंक को सूचित करने पर बैंक कार्रवाई करेगा। यदि आपके खाते से रुपए उड़ा लिए गए हैं, आपका पिनकोड नम्बर लीक हो गया हो या डेबिट-क्रेडिट कार्ड का दुरुपयोग कर किसी अन्य खाते में फंड ट्रांसफर किया गया हो तो इसकी जानकारी सबसे पहले अपने बैंक को दे सकते हैं। बैंक के अधिकारी संबंधित बैंक से सम्पर्क कर उस खाते की जांच कर खाता फ्रिज करवा सकते हैं। इसके बाद केवाईसी की जांच और छानबीन की जाती है और रुपए रिकवरी की जा सकती है। हालांकि, बैंक को सूचना के बाद पुलिस के पास प्राथमिकी दर्ज कराना जरूरी है, ताकि रुपए की रिकवरी हो सके। इस संबंध में आरबीआई द्वारा गाइडलाइन जारी कर दी गई है बैंक लोकपाल भी लगातार इन मामलों पर अपनी नजर बनाए रखते हैं।

एसबीआई जयपुर में ऑपरेटिव सेल शुरू

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने इसके लिए जयपुर में स्पेशल सेल की शुरुआत की है। एसबीआई के कस्टमर के साथ फ्राड होने पर यदि बैंक को तुरंत सूचना दी जाती है तो संबंधित बैंक एसबीआई के जयपुर सेल को सूचित कर कार्रवाई शुरू कर देता है। आरबीआई ने भी इस संबंध में सभी बैंकों को निर्देश जारी कर दिए हैं।

खातों की केवाईसी रोक रही बैंक फ्राड के मामले

सभी बैंकों द्वारा केवाईसी अपडेट आवश्यक करने के बाद सभी खातों की केवाइसी की जा रही है। इस केवाईसी के बाद खाता धारकों का नाम पता छुप नहीं सकता, साथ ही फर्जीवाड़ा और जालसाजी का भी खुलासा हो जा रहा है। ऐसे में यदि खातों से फ्राड कर रकम किसी अन्य खाते में ट्रांसफर भी की जाती हैं तो खाताधारक की केवाईसी से सभी जानकारियां हासिल हो जा रही हैं।

केवाईसी की जिम्मेदारी बैंक पर भी

यदि फ्राड के लिए इस्तेमाल किये गये खाते की केवाईसी फरजी निकली तो संबंधित बैंक अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है। बैंक अधिकारियों को दस्तावेजों की पूरी जांच के बाद ही केवाईसी अपडेट करने के निर्देश जारी किए गए हैं।

मोबाइल वॉलेट व पेटीएम भी जुड़े

हाल के दिनों में मोबाइल वॉलेट और पेटीएम द्वारा भी काफी फ्राड को अंजाम दिया गया। रुपए ट्रांसफर करने के बाद मोबाइल वॉलेट में डाल देने से बैंक को ऑपरेट करने में काफी दिक्कत आ रही थी तब तक रुपया गायब हो जाता था। लेकिन अब रेगुलेटरी बाडीज के द्वारा मोबाइल वॉलेट और पेटीएम में भी केवाईसी अपडेट अनिवार्य है, इसलिए इनके सहारे भी किये गए फ्राड को पकड़ना आसान हो गया है।

वर्जन

पब्लिक को संबंधित बैंक के पास जाकर सीधे इसकी शिकायत करने का पूरा अधिकार है। बैंक अधिकारियों को भी चाहिए कि जनता का सहयोग करें और जिन खातों में रुपए ट्रांसफर किए गए हैं उन खातों को संबंधित बैंक से सम्पर्क कर सीज करने की कार्रवाई करें। इसके बाद पुलिस के लिए रिकवरी का काम तय प्रक्रिया द्वारा किया जाएगा।

अमोल वेणुकांत होमकर, डीआईजी, रांची

इस तरह के मामलों में बैंक अपने स्तर से पूरी सहायता करता है। यदि फ्राड कर राशि को किसी विशेष खाता में ट्रांसफर किया गया है, तो उस खाते में रुपए को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें सीज तक करने की व्यवस्था की जाती है। पुलिस रिपोर्ट भी जरूरी है, क्योंकि जिस खाते को फ्रीज किया जाता है, उन्हें इसकी जानकारी दी जाती है।

-शिशिर कुमार, आईसीआईसीआई बैंक