ऐसी है जानकारी
इसमें खास बात यह है कि अगर अगले हफ्ते केंद्रीय बैंक रेपो रेट में कटौती करता है, तो कर्ज के और सस्ता होने का रास्ता खुलेगा। इस क्रम में आरबीआई पांच अप्रैल को मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा। आईसीआईसीआई बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक सहित कई बैंकों की ओर से फंडों की न्यूनतम लागत के आधार पर उधारी दरों को तय करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया गया है।

ये बैंक हैं शामिल
उधारी दरों की गणना करने के लिए अन्य बैंक, जिन्होंने नया तरीका अपनाया है, उनमें कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स शामिल हैं। एसबीआई, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक ने गुरुवार को ही एक अप्रैल से नया फॉर्मूला अपनाने का ऐलान कर दिया था।

बैंकों को दिए ये निर्देश
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिया था कि वे तीन साल तक के फिक्स्ड रेट के लोन की ब्याज दर अपनी न्यूनतम लागत के आधार पर तय करें। नया नियम एक अप्रैल से लागू करने के लिए कहा गया था। आधार दर की तुलना में फंडों की न्यूनतम लागत के आधार पर उधारी दर कुछ मामलों में कम बैठती है। लिहाजा कर्ज लेने वालों पर ईएमआइ का बोझ घटेगा।

विशेषज्ञों का ऐसा है मानना
इस क्रम में विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) कुछ मामलों में उधारी दरों को एक फीसद तक नीचे लाएगा। इसके साथ ही एसोचैम-पीडब्ल्यूसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल बैंकिंग की तरफ बढ़कर भारतीय बैंक अगले कुछ सालों में प्रति ट्रांजैक्शन लागत को 50 फीसद तक घटा सकते हैं।

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