-आंदोलित नाविकों ने हड़ताल के 7वें दिन गंगा में अलकनंदा क्रूज को घेरा

-अधिकारियों ने समझाया, क्रूज चलने से नाविकों की कमाई पर नहीं पड़ेगा असर

-कहा, मांग जबरदस्ती मनवाने के लिए अपनाए हुए हैं राजनीति का तरीका

गंगा में क्रूज संचालन के विरोध के साथ ही अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से हड़ताल कर रहे नाविकों ने सातवें दिन गुरुवार की शाम क्रूज को ही घेर लिया। अस्सी घाट पर खड़े अलकनंदा क्रूज को नाविकों ने अपनी बोट के माध्यम से घेरा। गंगा में दर्जनों बोट से अंडाकार आकार में घेरेबंदी किये जाने की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन एक्टिव हो गया। आनन-फानन में मौके पर पहुंची भेलूपुर पुलिस ने नाविकों को समझाया पर बात नहीं बनी। इसके बाद इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार के काफी प्रयास के बाद नाविक माने। हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो नाविकों की हड़ताल नहीं बल्कि यह चाल है। क्रूज के संचालन से किसी नाविक को कुछ असर नहीं पड़ने वाला है बल्कि अपनी मांग जबरदस्ती मनवाने के लिए राजनीति का तरीका अपनाए हुए हैं।

कहा, नाव का महत्व रहेगा

प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो छोटे नाव वाले नाविकों को कोई परेशानी नहीं है। मोटरबोट व बजडे़ वालों को लगता है कि क्रूज का संचालन होगा तो उनकी कमाई पर असर पडे़गा। यही कारण है कि ये एकजुट होकर सप्ताह भर से आंदोलन कर रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं है, क्रूज के चलने से नाविकों की कमाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्रूज पर सैर करने वालों का क्लास ही दूसरा होगा। ऐसा भी नहीं है कि हर कोई क्रूज पर ही सफर करे। नाव का जो महत्व है वह खत्म होने वाला नहीं है। समस्त मांझी समाज के बैनर तले नाविकों के आंदोलन से सप्ताह भर में मांझी समाज को आर्थिक क्षति ही हुआ है।

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कांगे्रस रहेगी अंतिम साथ तक

गंगा में क्रूज चलाए जाने के विरोध में नाविकों की चल रही हड़ताल के सातवें दिन गुरुवार को पूर्व सांसद व प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष डॉ। राजेश मिश्र ने समर्थन दिया। उन्होंने नाविकों को 2007-08 के आंदोलन की याद दिलाई। डॉ। राजेश ने कहा कि गंगा में क्रूज का संचालन गैर कानूनी है। उन्होंने कहा कि पिछले 30 साल से राजघाट से रामनगर तक कछुआ सेंचुरी घोषित है, ऐसे में यहां क्रूज चलाकर कछुओं को मारने का सरकार द्वारा काम किया जा रहा है। सरकार को क्रूज चलाना ही है तो वो रामनगर से प्रयागराज तक चलाए। कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से नाविकों के साथ है। वहीं नाविकों ने स्थानीय प्रशासन को चेतावनी दी कि उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो आंदोलन उग्र होगा।