-कहा, मतभेद हो सकते हैं, मनभेद नहीं होने चाहिए

-बार काउंसिल और ज्यूडिश्यरी को एक ही बताया

DEHRADUN: बार और ज्यूडिश्यरी एक ही हैं। उनमें मतभेद तो हो सकते हैं परंतु मनभेद नहीं होने चाहिए। न्याय व्यवस्था को बेहतर ढंग से चलाने के लिए दोनों का ही सहयोग आवश्यक है। यह बात शुक्रवार को बार एसोसिएशन के विशेष बुलावे पर दून पहुंचे बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन बीएस सिनसिनवार ने एक कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने ज्यूडिश्यरी, बार और जूनियर वकीलों की तमाम समस्याओं पर अपने विचार शेयर किए।

हर समस्या पर हैं साथ

बार को संबोधन के दौरान श्री सिनसिनवार ने कहा कि वकील बनना है तो सबसे पहले अपने गुस्से को अगल करना होगा।

उन्होंने कहा कि बार एसोसिएशन और बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड की हर समस्या पर वह उनके साथ हैं, उधर जिला जज राम सिंह ने बढ़ते लम्बित मामलों पर अपनी बात रखी। बार

काउंसिल ऑफ उत्तराखंड के चेयरमैन हरीश नेगी ने कहा कि दून बार एसोसिएशन द्वारा सीजेएम का जो विरोध किया जा रहा है, उसमें वह भी उनके साथ हैं। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता राजीव शर्मा 'बंटू' ने कहा कि बार काउंसिल की

कार्यप्रणाली के चलते आज वकीलों में असुरक्षा की भावना घर कर गई है। काउंसिल को ऐसी रणनीति पर विचार करना होगा कि वकीलों में सुरक्षा की भावना पैदा हो सके।