-डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में पहली बार डॉक्टर्स की कमी का सबसे बड़ा संकट

- 43 पद पर बचे महज 23 डॉक्टर्स, कई विभाग बंद होने की कगार पर पहुंचे

BAREILLY: देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम में अपनी आंखे खोलने वाला बरेली का डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल अपनी जिंदगी के 159वें साल में पहली बार बीमार पड़ गया है। 1857 में अंग्रेजों की हुकुमत में जन्म लेने वाला यह हॉस्पिटल 1947 में भारत की आजादी का गवाह भी बना और इसके बाद बरेली के हजारों मरीजों के लिए इलाज की इकलौती उम्मीद भी। साल दर साल जब देश विकास और तरक्की की सीढि़यां चढ़ रहा था तो यह हॉस्पिटल भी बरेली ही नहीं आस पास के तमाम जिलों समेत उत्तराखंड के मरीजों का भी भरोसा जीत रहा था। लेकिन उम्र के 159वें पड़ाव में यह हॉस्पिटल अपने अस्तित्व के अब तक के सबसे बड़े संकट से जूझ रहा है। हॉस्पिटल में डॉक्टर्स के 43 मूल पदों पर महज 23 डॉक्टर्स ही बचे रह गए हैं। जिसके चलते रोजाना औसतन 3500 से ज्यादा मरीजों के इलाज पर भी बड़ा संकट गहरा गया है।

बढ़ने थे, लेिकन घट गए

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल बरेली मंडल का इकलौता डिविजनल हॉस्पिटल भी है। पिछले 20 साल में यहां इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों का आंकड़ा दोगुने को भी पार कर गया है। इन मरीजों का बेहतर व मुफ्त इलाज करने के लिए हॉस्पिटल के लिए मंजूर 43 डॉक्टर्स की संख्या में ही बढ़ोतरी कर करीब 55 होनी चाहिए थी। लेकिन हुआ इसके उलट। सरकारी हॉस्पिटल में आने के लिए नए डॉक्टर्स की घटती दिलचस्पी और रिटायरमेंट ने हॉस्पिटल का गणित ही बिगाड़ दिया।

ओपीडी में एक फिजिशियन

हॉस्पिटल की ओपीडी में रोजाना करीब 340 से ज्यादा मरीजों की भीड़ तीन फिजिशियन केबिन में लगती है। हॉस्पिटल में फिजिशियन के तीन पद हैं। जिनमें से दो खाली हो गए हैं। इकलौते फिजिशियन के सहारे मरीजों को इलाज दिया जा रहा। वहीं जनरल सर्जन के तीन में से एक पद खाली हो गया है। तबादला किए गए डॉ। अनिल अग्रवाल को एक-दो दिन में रिलिव किया जाएगा। बचे दो सर्जन में एक लखनऊ में ट्रेनिंग ले रहे हैं। ऐसे में इकलौते फिजिशियन व सर्जन के भरोसे ओपीडी में सैकड़ों मरीजों को इलाज देने की व्यवस्था लड़खड़ा रही।

कार्डियोलोजी-डेंटल विभाग बंद

हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजिस्ट के दो पद थे। दोनों ही पद खाली पड़े हैं। जिसके चलते हॉस्पिटल का कार्डियोलॉजी विभाग पर ताला पड़ गया है। कार्डियोलोजी के बाद डेंटल विभाग पर भी तालाबंदी का गंभीर खतरा हो गया है। हॉस्पिटल के इकलौते डेंटल सर्जन का शासन की ओर से दोबारा ट्रांसफर का आदेश आ चुका है। डेंटल सर्जन ने भी ट्रांसफर के लिए हामी भर दी है। इन्हें रिलिव करते ही दांतों का इलाज भी हॉस्पिटल में ठप हो जाएगा।