प्रदेश के 25 जिलों को हाई रिस्क लिस्ट में किया गया है शामिल

मातृ-शिश दर, वैक्सीनेशन कुपोषण और स्वास्थ्य सुविधा में पिछड़ा

BAREILLY:

जनता को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में यूपी की स्थिति अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर नहीं है। हालांकि, इलाज से लेकर बीमारी की रोकथाम में पिछले कुछ साल के दौरान सुधार दिखा है। बावजूद इसके प्रदेश के कई जिलों में हालात संवेदनशील है। प्रदेश सरकार की हेल्थ मॉनीटरिंग कमेटी में ऐसे 25 जिलों को हाई रिस्क जोन में रखा गया है। इनमें बरेली भी शामिल किया गया है। जच्चा-बच्चा जन्म-मृत्यु दर, वैक्सीनेशन प्रोग्राम, वैक्सीन की सप्लाई, कुपोषण, नर्सिग सुविधा, इलाज और रिकॉ‌र्ड्स के मामले में बरेली की स्थिति मानकों के तहत न होने पर इसे हाई रिस्क कटेगरी में जगह दी गई है।

गेट्स फाउंडेशन से मदद

स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में उत्तर भारत से यूपी-बिहार की स्थिति सबसे खराब है। स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए राज्य सरकार को बिल व मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन से सपोर्ट मिला है। फाउंडेशन के सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर डॉ। भूपेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि बरेली समेत प्रदेश के 25 हाई रिस्क जिलों में पिछड़ चुकी स्वास्थ्य सेवाओं की मॉनीटरिंग व रिफॉ‌र्म्स में संस्था ने इनोवेटिव प्लानिंग की है। इसी कवायद में सरकार की रिप्रोडक्टिव, मैटरनल, न्यूबॉर्न, चाइल्ड, एंड एडोलेसेंट हेल्थ प्रोग्राम को भी बेहतर तरीके से बरेली में लागू किया जा रहा है।

टेक्निकल सपोर्ट मुहैया

हाई रिस्क डिक्लेयर किए गए जिलों में मॉनीटरिंग के लिए सरकार व संस्था की ओर से एक ज्वाइंट बॉडी बनाई गई है, जिसका काम जिलों में मातृ-शिशु की मृत्यु दर को कंट्रोल करना, जच्चा-बच्चा को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू करना, प्रोग्राम के लिए जिले के हर हिस्से में जरूरी वैक्सीन की समय पर सप्लाई किया जाना और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े रिकॉ‌र्ड्स व डाटा का लगातार रिव्यू व अपग्रेड किया जाना है।

ज्वाइंट बॉडी की ओर से हाई रिस्क जिलों में सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए टेक्निकल सपोर्ट भी मुहैया कराया जा रहा है।

3 साल में खत्म कुपोषण

स्वास्थ सेवाओं में कुपोषण को खत्म करना अहम मुद्दा है। प्रदेश स्तर पर बल्कि बरेली में कुपोषण की स्थिति संतोषजनक नहीं है। कुपोषण को खत्म करने के लिए तीन साल का लक्ष्य रखकर बरेली में सरकारी योजनाओं में सुधार किया जा रहा है। जिसमें कुपोषित बच्चों की रेगुलर मॉनीटरिंग शामिल है। इसी कड़ी में हाई रिस्क जिलों में एक्सपर्ट के साथ ही नर्स मेंटोर की तैनाती होगी। वहीं एसेंशियल ट्रेनिंग सेंटर्स के जरिए डॉक्टर्स व नर्स स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाएगी। इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में डॉक्टर्स व स्टाफ नर्स समेत अन्य हेल्थ स्टाफ को वैक्सीनेशन प्रोग्राम के तहत वैक्सीन को सेफ रखने की जानकारी देना भी शामिल है।

-------------------------------