- चित्रा नक्षत्र में ब्रह्मायोग होने से भद्रा काल का रहेगा लोप

- पूरे दिन रहेगा अमृत संयोग, विधि विधान से करें गजानन पूजन

BAREILLY:

आगामी 5 सितम्बर को भाद्र शुक्ल चतुर्थी को होने वाली सिद्धिविनायक गजानन की प्राण प्रतिष्ठा और उनका पूजन कई गुना फलदायी होगा। क्योंकि मध्यान्ह व्यापिनी तिथि, चित्रा नक्षत्र में पड़ रही है। इसी समय ब्रह्मा योग के भद्रा काल बनने से अमृत संयोग बन रहा है। जो ब्रह्मावतरण पुराण के मुताबिक बेहद ही लाभदायक और मनोकामना पूरी करने वाला संयोग है। अमृत संयोग होने से भद्रा काल मान्य नहीं होगा। जिसकी वजह से चौघडि़या में ही प्राण प्रतिष्ठा किए जाने का विधान है।

मनोकामना होगी पूरी

बाला जी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं। राजीव शर्मा के मुताबिक अमृत संयोग में भद्रा का लोप होने के चलते इस बार श्री गणेश जयंती मनोकामना पूर्ण करने वाली होगी। जिनके पूजन से विद्या, बुद्धि, ऋद्धि-सिद्धि मिलती है और विध्न-बाधाओं का भी नाश होता है। इसके लिए जातकों को श्री गणेश का पूजन शाम को करने, नीची नजर से चंद्रमा को अ‌र्घ्य देने, ब्राह्माणों को भोजन कराने और हरिवंश भागवतोक्त स्मयन्तक मणि के आख्यान का पाठ विधि-विधान से करने की बात गणेश पुराण में कही गई है। साथ ही जीवनसाथी अथवा सामूहिक पूजन के विशेष लाभ होने की संभावना है।

विधि विधान से करें पूजन

चौकी पर रेशमी आसन बिछाकर उसमें गणेश प्रतिमा 'ऊं गं गणपतये नम:' मंत्र जप के बाद रखें। पान के पत्ते पर सिंदूर में घी मिलाकर स्वास्तिक का निशान बनाएं। कलावा में लिपटी सुपारी रखें। इन्हीं को गणपति मानकर पूजन करें। भोग में 5 लड्डू अनिवार्य है। पूजन सामग्री में कुमकुम, केसर, अबीर, गुलाल, सिन्दूर, पुष्प, चावल, सुपारी, पंचामृत, पंचमेवा, गंगाजल, बिल्वपत्र, धूप बत्ती, दीप, नैवेद्य, लौंग, इलाइची, नारियल, कलश, लाल कपड़ा, इत्र, सरसों, जनेऊ, मिश्री, बताशा और आंवला रखें। भोग में लड्डू समेत धान का लावा, सत्तू, गन्ने के टुकड़े, तिल, पके केले रखें। देशी घी से हवन करें फिर विसजर्1न करें।

कब है शुभ-मुहूर्त

- 5 को भद्रा सुबह 8 से रात 9.09 बजे तक

- चतुर्थी तिथि सूर्योदय से रात 7.40 बजे तक

- ब्रह्मा योग, अमृत योग सूर्योदय से पंचमी तक

विशेष मुहूर्त

चौघडि़या - सुबह 9.30 से 11.05 बजे तक

वृश्चिक लग्न - सुबह 11.15 से 1.40 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11.40 से दोपहर 1.40 बजे तक

अमृत चौघडि़या - दोपहर 1.40 से शाम 6 बजे तक

पूजन काल

- सुबह 6 से 7.30 बजे तक

- दोपहर 1.30 से 6 बजे तक