-मशहूर कवि और साहित्यकार बरेली में भी कई आ चुके हैं कविता पाठ में

-इल्मी के साथ फिल्मी दुनिया के पुरोधा थे गोपालदास नीरज: वसीम बरेलवी

BAREILLY :

कवि गोपालदास नीरज आज इस दुनिया में तो नहीं रहे, लेकिन बरेली से जुड़ी उनकी यादें बरेलीवासियों के जेहन में ताजा हैं। यही वजह रही कि जैसे ही गोपालदास नीरज के निधन की खबर बरेली को लगी, उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई। खासतौर पर साहित्य जगत गमगीन हो गया।

1968 में हुई थी पहली मुलाकात

कवि गोपालदास नीरज की यादों को साझा करते हुए वसीम बरेलवी ने बताया कि उन्होंने गोपालदास का नीरज का नाम तो सुना था। लेकिन उनकी पहली मुलाकात कलकत्ता के एक कार्यक्रम के दौरान हुई थी। जिसमें वह कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने बताया कि वह जब पहली बार गोपाल दास नीरज से मिले तो वह उनसे इतने सरल और सहजता से मिले कि उन्हें पता भी नहीं लगा कि वह पहली बार मिले हैं। गोपालदास नीरज ने कहा कि क्या आप ही वसीम बरेलवी है। जिनकी शायरी है कि 'जिन्दगी है और दिले नादान है, क्या सफर है और क्या सामान है'। इस शायरी को पढ़कर वह काफी खुश हुए। उन्होंने बताया कि शहर के वकील रामजीसरन सक्सेना के यहां पर कई बार मिलने भी आए तो वहां पर भी उनसे कई बार मुलाकात हुई।

पांच वर्ष पहले आए थे शहर

शहर में भी उनके फैन अनगिनत हैं। बताते हैं कि गोपाल दास नीरज शहर में लगभग पांच वर्ष पहले एलन क्लब में हुए एक कवि सम्मेलन में आए थे। जिसके बाद भी उन्हें कई बार बुलाया गया लेकिन स्वस्थ्य ठीक नहीं होने के चलते वह नहीं आ सके। शहर के एक हास्य कवि रोहित राकेश एक कार्यक्रम में अलीगढ़ गए तो वह उनसे मिलने के लिए उनके घर पर भी गए थे। उनका स्वस्थ ठीक नहीं होने के चलते वह घर पर थे।