बसन्त पंचमी (10 फरवरी 2018) रविवार

-पंचमी तिथि कार्य-सिद्ध करने वाली, रेवती नक्षत्र शुभ फल देने वाला

-साध्य योग दोपहर 12:16 बजे तक तदोपरान्त शुभ योग, स्वयं सिद्ध मुहुर्त पूरे दिन

BARIELLY: माघ शुक्ल पंचमी का दिन ऋतुराज बसंत के आगमन का प्रथम दिवस माना जाता है। इस माह 10 फरवरी को बसन्त पंचमी, माघ मास और माघीय नवरात्र होने के कारण विशेष महत्व की है। इसे ऋतुराज बसन्त के आगमन की खुशी में मनाया जाता है, भगवान श्री कृष्ण ने इसे ऋतुओं का राजा बताया है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं। राजीव शर्मा ने बताया कि इसे वागीश्वरी जयन्ती एवं सरस्वती पूजन दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु एवं श्री कृष्ण की पूजा होती है। ऐसे जातक जिनके विवाह में विलम्ब चल रहा हो, दांपत्य जीवन अच्छा नहीं हो, उन्हें इस दिन पूजा जरूर करनी चाहिए।

बंसत ऋतु का स्वामी है शुक्र
बंसत पंचमी को पीले वस्त्र पहनने चाहिए एवं पीले रंग की खाद्य सामग्री का ही सेवन करना चाहिए। यह दिन किसानों के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। बसंत ऋतु का स्वामी शुक्र है। इस बार विशेष बात यह है कि ज्ञान का कारक बृहस्पति का विशेष प्रभाव विद्यार्थी जातकों पर पड़ेगा। सरस्वती और विष्णु का पंचोपचार पूजन कर पितृ तर्पण करना शुभ माना जाता है।

मंगल कार्य के लिए शुभ
माघ शुक्ल पंचमी तिथि को अबूझ मुहुर्त माना जाता है। देव कार्य, मंगल कार्य आदि के लिए यह तिथि विशेष शुभ मानी जाती है। सरस्वती पूजन से पूर्व विधिपूर्वक कलश की स्थापना करके भगवान गणेश, सूर्य, विष्णु तथा महादेव की पूजा करनी चाहिए। आज के दिन किसान नये अन्न में गुड़-घृत मिश्रित कर अग्नि एवं पितृ तर्पण करते हैं। अभिजित मुहुर्त में (दोपहर 12:07 बजे से 12:58 बजे तक) मां सरस्वती के साथ गणेश जी का पूजन विशेष शुभ रहेगा। इस दिन पूजा करने से प्राप्त फलों में कई गुना वृद्धि होगी।

 

इसका भी ले सकते हैं लाभ

-स्वयं सिद्ध मुहुर्त में गणेश जी का पूजन-अर्चन करना अति शुभ रहेगा

-माघीय गुप्त नवरात्र 5 फरवरी से 14 फरवरी तक का अधिक महत्व है

-पंचक में पंचमी तिथि का होना शुभ है। यह किसी फल को पांच गुना तक बढ़ाने में समर्थ होती है

-शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि लक्ष्मीप्रद एवं कार्य सिद्ध करने वाली होती है।

-अक्षरारम्भ मुहूर्त अर्थात छोटे बच्चों को 'ग' गणेश का लिखना आरम्भ करने का मुर्हुत भी है। विद्यार्थियों को गणेश रूद्राक्ष धारण करना भी श्रेष्ठकर रहता है।

बसन्त पंचमी का महत्व
भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मामाजी ने सृष्टि की रचना की। जब ब्रह्मामाजी ने सृष्टि की ओर देखा तो आश्चर्य हुआ कि चारों ओर सन्नाटा तथा खामोशी छाई हुई थी, इस पर उन्होंने कमण्डल से थोड़ा जल छिड़का, उन जल कणों के छिड़कने से एक दैवीय शक्ति उत्पन्न हुई, जिसके हाथ में एक वीणा और हाथ वरद मुद्रा में था। अन्य दो हाथों में से एक में पुस्तक और एक में माला थी, तब देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। इस पर देवी ने जैसे ही वीणा बजाना आरम्भ किया, वैसे ही संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। बसन्त पंचमी अर्थात माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी, तभी से इसे सरस्वती जयन्ती के रूप में मनाया जाने लगा।

मां सरस्वती की पूजन विधि
सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखना चाहिए। कलश स्थापित करके गणेश जी तथा नवग्रह की विधिवत पूजा करनी चाहिए। प्रतिमा का आचमन कर और स्नान करायें, फिर फूल-माला चढ़ायें। माता के चरणों में गुलाल भी अर्पित किया जाता है।

राशिवार यह करें उपाय

मेष राशि: रविवार को गेहूं और गुड़ का दान, आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ एवं विष्णु भगवान को नमस्कार करें

वृष राशि: बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाएं, तोतों को आजाद करें, मूंग एवं हरा वस्त्र दान करें।

मिथुन राशि: शुक्रवार को सफेद चमकीली वस्तुओं का दान, दूध, चावल, खीर आदि किसी गरीब कन्या को दें।

कर्क राशि: मंगलवार को लाल वस्तुओं का दान, बन्दरों को गुड़ और चने खिलायें एवं हनुमान जी को प्रसन्न करने के उपाय करें।

सिंह राशि: गुरूवार को पीले वस्त्र, वस्तु आदि का दान गुरू करें एवं बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करें

कन्या राशि: शनिवार को किसी काले कुत्ते को तेल चुपड़ी रोटी डालें। काले उड़द, सरसों के तेल का दान करें एवं तिली के तेल का दिया जलाएं

तुला राशि:शनिवार को काले वस्त्र लोहा और तेल का दान अथवा छाया दान करें

वृश्चिक राशि: गुरूवार को हल्दी, चने, पीले वस्त्र और सोना आदि का दान करें एवं पुखराज रत्न धारण करें

धनु राशि:मंगलवार को तांबा और लाल वस्त्र दान करें। हनुमान चालीसा, बजरंग बाण आदि का पाठ करें

मकर राशि : शुक्रवार को सफेद चमकीले वस्त्र, मिश्री, सफेद वस्त्र, दूध, दही आदि का दान करें

कुम्भ राशि: बुधवार को हरे वस्त्र का दान, गाय को हरा चारा खिलाएं, तोते की सेवा करें अथवा तोते को आजाद करें

मीन राशि: सोमवार को दूध, दही, चावल, चांदी, दूध मिश्रित जल शंकर भगवान पर चढ़ायें, माता के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें।