- 3 जुलाई तक ड्रॉपआउट बच्चों की टै्रकिंग की प्लानिंग का दावा।

- 350 स्कूल हैं मेरठ शहर में

-16 लाख से अधिक बच्चे करते हैं पढ़ाई

- 85 फीसदी बच्चों का नहीं बना आधार कार्ड

- 30 जून तक लगने थे स्कूलों में कैम्प

- कई बच्चों के नहीं बने आधार कार्ड, कैसे होगी ड्रॉपआउट बच्चों की ट्रैकिंग

आई एक्सक्लूसिव

स्वाति भाटिया

मेरठ- माध्यमिक स्कूलों में इन दिनों ड्रापआउट बच्चों की संख्या कम करने और बच्चों की टै्रकिंग के लिए एक सॉफ्टवेयर की चर्चा चल रही है। दरअसल, यह सॉफ्टवेयर आधार कार्ड की सहायता से बच्चों की टै्रकिंग करेगा, लेकिन हकीकत यह है कि अभी तक बच्चों के आधार कार्ड ही विभाग नहीं बनवा पाया है तो फिर कैसे ये ड्रापआउट टै्रकिंग प्लानिंग कामयाब होगा।

विभाग की नई प्लानिंग

गौरतलब है कि शिक्षा विभाग में इन दिनों ड्रापआउट बच्चों की टै्रकिंग की प्लानिंग चल रही है। इसके लिए विभाग आधार कार्ड की मदद लेने के दावे कर रहा है। इस प्लानिंग पर 80 प्रतिशत काम पूरा होने के भी दावे भी किए जा रहे है, आगामी सत्र से इस प्रक्रिया को शुरु करने की बात कही जा रही है.लेकिन स्कूलों में बच्चों के अभी तक आधार कार्ड तक नहीं बने है।

क्या कहते हैं पेरेंट्स

स्कूलों में कोई भी कैम्प नहीं लगाया गया। ऐसे में बच्चों का आधार कार्ड नहीं बन पाया है।

सोनिया सिंह

सरकारी ंस्कूलों के सभी काम ऐसे ही होते हैं, कहने और करने में फर्क होता है। आधार कार्ड तो बने नहीं टै्रकिंग कैसे करेंगे।

विनय विरालिया

ये सब बेकार की बाते हैं। जब विभाग आधार कार्ड ही नहीं बनवा सका है तो टै्रकिंग कैसे होगी यही सबसे बड़ा सवाल है।

आरती जोशी

स्कूल अक्सर कहते है करता कोई नहीं, आधार कार्ड तक तो बने नहीं है। कैसे करेंगे ये टै्रकिंग।

दिव्या

क्या कहता है विभाग

सबकुछ बजट पर डिपेंड करता है, जिनके आधार कार्ड है उन ड्रॉपआउट बच्चों को टै्रक कर लिया जाएगा। अन्य के लिए भी रास्ता निकाला जाएगा।

श्रवण कुमार, डीआईओएस