RANCHI : रांची रेलवे स्टेशन को व‌र्ल्ड क्लास बनाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन हकीकत है कि यहां यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं भी मयस्सर नहीं हो रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रांची होकर आने-जाने वाली ट्रेनों के फ‌र्स्ट एसी में भी सफर करना महंगा पड़ रहा है। इन बोगियों में चूहों का आतंक है। ये चूहे न सिर्फ आपके महंगे सामानों को कुतरने के साथ खाने-पीने के सामानों पर भी हाथ साफ कर रहे हैं। इतना ही नहीं, राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में भी यात्रियों को घटिया नाश्ता व भोजन परोसा जा रहा है। यह शिकायत किसी आम यात्री की नहीं है, बल्कि झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस अनंत विजय सिंह ने रेलवे में यह कंप्लेन की है। इस साल 21 अप्रैल को नई दिल्ली-रांची राजधानी में जर्नी के दौरान खराब सर्विस को लेकर भी उन्होंने कई सवाल उठाए।

प्लेटफॉर्म बना गोदाम

रांची रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक को रेलवे प्रबंधन ने गोदाम बना रखा है। यहां पार्सल के साथ-साथ सभी सामान रखकर छोड़ दिए जाते हैं। कई बार तो इसकी वजह से लोगों का ट्रेन पकड़ना भी मुश्किल हो जाता है। वहीं लोग ट्रेन पकड़ने के चक्कर में गिरकर घायल भी हो रहे हैं।

ढूंढते रह जाएंगे पीने का पानी

प्लेटफार्म नंबर एक पर तो पानी के कई नल है। वहीं वाटर वेंडिंग मशीन भी है। लेकिन प्लेटफार्म नंबर 2,3,4,5 की हालत काफी खराब है। इन सभी प्लेटफॉर्म पर पीने के लिए लोगों को पानी ही नहीं मिल पाता। वहीं एकमात्र वाटर वेंडिंग मशीन होने की वजह से लोगों की यहां लाइन लगी रहती है। ऐसे में ट्रेन छूट जाने की डर से कई यात्री पानी लेने के लिए प्लेटफॉर्म पर उतरते भी नहीं हैं।

वेंडर्स की चलती है मनमानी

रांची रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या दो और तीन से सबसे ज्यादा ट्रेनों का आवागमन होता है। ऐसे में इन दोनों प्लेटफॉर्म पर पैसेंजर्स की भी सबसे ज्यादा भीड़ होना लाजिमी है। इसी का फायदा यहां के वेंडर्स उठा रहे हैं। वे सामानों की मनमानी कीमत वसूलते हैं। इतना ही नहीं वेंडिंग मशीन की पानी के लिए भी स्टाफ 10-10 रुपए वसूल रहे हैं, लेकिन रेलवे का इस ओर ध्यान नहीं जा रहा है।

बैठने के लिए कुर्सी नहीं

रांची डिवीजन से ट्रेनों में सफर करने वाले पैसेंजर्स की संख्या काफी है। वहीं बाहर से भी लोग काफी संख्या में आते है। इसके बावजूद न तो प्लेटफार्म पर बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियां है और न ही कहीं ठहरने के लिए ढंग की व्यवस्था है। जिससे कि पैसेंजर्स को जमीन पर ही समय गुजारना पड़ता है।