-बिना मान्यता के ही बच्चों का चोरी छिपे एडमिशन लेकर चला रहे थे स्कूल

-जांच में कारगुजारी का पर्दाफाश होने पर बंद करने का लिया गया डिसीजन

-मान्यता फंसने से 1700 स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में

इंट्रो-

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23 स्कूल्स खुलने से पहले ही शिक्षा विभाग के रडार पर आ गए हैं। दरअसल इन स्कूल्स को मान्यता के लिए पहले विभाग में आवेदन दिया गया अभी इसके लिए प्रॉसेस शुरू भी नहीं हुआ था कि इनमें बगैर मान्यता के ही चोरी छिपे बच्चों का एडमिशन लेने का खेल भी शुरू कर दिया गया। वो भी एक दो नहीं टोटल 1700 बच्चों का एडमिशन ले लिया गया। अब मुसीबत ये आ फंसी है कि विभागीय जांच के दौरान इन स्कूल्स की इस कारगुजारी का पर्दाफाश हो गया है। ऐसे में अब इन स्कूल्स की मान्यता लटक गई है। और तो और इनमें एडमिशन लिये बच्चों का भविष्य भी अधर में लटक गया है। गर स्कूल पर ताला लग गया तो इनकी पढ़ाई का क्या होगा?

जांच में 106 स्कूल मिले पास

जांच में इस खुलासे के बाद शिक्षा विभाग ने इन 23 जूनियर हाईस्कूलों को अवैध घोषित कर दिया है। नोटिस भेजकर इन्हें बंद कराने की तैयारी है। इनमें चिरईगांव विकास खंड के 14 व पिण्डरा के नौ स्कूल्स का ये मामला है। बता दें कि डिस्ट्रिक्ट के 159 स्कूल्स ने मान्यता के लिए बेसिक शिक्षा विभाग में आवेदन किया था। पिछले साल अगस्त 2018 में ही इन स्कूल्स ने मान्यता के लिए फाइलें बीएसए ऑफिस में जमा की थीं। संबंधित विकास खंड के एबीएसए ने जांच-पड़ताल कर इनमें से 106 स्कूल्स को मान्यता प्रदान करने की संस्तुति भी कर दी। लेकिन एडी बेसिक मुनेश कुमार ने मान्यता समिति की मीटिंग में इस संस्तुति पर आब्जेक्शन जता दिया। उन्होंने मान्यता पाने के लिए कतार में लगे सभी स्कूल्स की नए सिरे से जांच कराने का ऑर्डर दे दिया।

अब प्रत्येक दो महीने में मीटिंग

कुल मिलाकर इन स्कूल्स की मान्यता पर ग्रहण लग गया है। हालांकि शासन ने प्रत्येक दो महीने में मान्यता समिति की मीटिंग बुलाने का निर्देश दिया है। इसके बावजूद अगस्त से अब तक सिर्फ एक बार मान्यता समिति की मीटिंग बुलाई जा सकी है। बीएसए जय सिंह के मुताबिक एबीएसए की रिपोर्ट के आधार पर ही 106 स्कूल्स की फाइलें मान्यता समिति की मीटिंग में रखी गई थीं। अब इसकी जांच एडी बेसिक स्तर पर कराई जा रही है। फिलहाल बिना मान्यता के ही चल रहे इन 23 स्कूल्स को बंद कराने का डिसीजन लिया गया है।